आज इस आर्टिकल में हम त्रिपिटक के विषय में बताने जा रहें है। जानकारी के लिए बता दें त्रिपिटक बौद्ध धर्म का प्रमुख पवित्र ग्रन्थ है। बौद्ध धर्म में त्रिपिटक की अत्यधिक मान्यता है।
जिस प्रकार हिन्दू धर्म के लोगो के लिए उनके ग्रन्थ महत्व रखते है ठीक उसी प्रकार बौद्ध धर्म के लोगो के लिए त्रिपिटक महत्व रखता है। जो भी नागरिक त्रिपिटक के बारे में जानना चाहते है और इसके इस्तेमाल के बारे में जानना चाहते है तो यहाँ हम आपको इसके बारे में सम्पूर्ण जानकारी बताएंगे।
इसके साथ ही क्या आप जानते हैं विश्व में सबसे सच्चा धर्म कौन सा है? अगर नहीं तो आपको हमारा दूसरा आर्टिकल भी पढ़ना चाहिए जिससे आप धर्मो के बारे में अच्छे से जान सकते हैं।
त्रिपिटक क्या है ?
त्रिपिटक का शाब्दिक अर्थ है – त्रि + पिटक। त्रि का अर्थ है तीन और पिटक का अर्थ है पिटारे या टोकरी। इस प्रकार त्रिपिटक का अर्थ है तीन पिटारे।
ऐसा माना जाता है बौद्ध धर्म के कुछ शिष्यों ने भगवान बुद्ध के सिद्धांतों को कालांतर में लिखवाया। जानकारी के लिए बता दें अंग्रेजी भाषा में त्रिपिटक को “पाली कैनन” कहा जाता है। त्रिपीटक का रचनाकाल या निर्माणकाल ईसा पूर्व 100 से ईसा पूर्व 500 है।
त्रिपिटक की रचना कब और किसने की ?
भगवान बुद्ध की मृत्यु (महापरिनिर्वाण) के लुक समय बाद 483 ई० पू० आजातशत्रु ने राजगृह की गुफा में प्रथम बौद्ध संगीति का आयोजन कराया। प्रथम बौद्ध संगीति की अध्यक्षता महाकश्यप ने की।
इस संगीति में भगवान बुद्ध के प्रिय शिष्य आनंद और उपालि भी शामिल हुए। प्रथम बौद्ध संगीति की प्रमुख विशेषता यह थी कि इसमें भगवान बुद्ध की शिक्षाओं को पालि भाषा में संकलित किया गया जिसे सुत्तपिटक और विनयपिटक का नाम दिया गया।
प्रथम बौद्ध संगीति के दौरान ही अभिधम्मपिटक की रचना की गई थी। लेकिन कुछ इतिहासकारों का मानना है कि अभिधम्मपिटक की रचना तीसरी बौद्ध संगीति में हुई थी।
त्रिपिटक के प्रकार | types of Tripitaka
जानकारी के लिए बता दें त्रिपिटक को तीन भागों में विभाजित किया गया है। इस प्रकार कहा जा सकता है त्रिपिटक तीन प्रकार के होते है। जिनके विषय में आप नीचे दिए गए पॉइंट्स के माध्यम से जानकारी प्राप्त कर सकते है। ये निम्न प्रकार है –
- विनयपिटक – बौद्ध धर्म के विनयपिटक में बौद्ध संघ के नियमों के विषय में बताया गया है। विनयपिटक के रचनाकार उपालि थे। विनयपिटक भारत की 2500 साल पूरी सभ्यता और आध्यात्म इतिहास है।
जिन नियमों पर बुद्ध का धम्म और संघ खड़ा हुआ है। इस अनूपम ग्रन्थ की एक प्रति पाने के लिए चीनी यात्री ह्वेनसांग को पाटलिपुत्र से मध्य प्रदेश और वापस मध्य प्रदेश से पाटलिपुत्र एक हजार किलोमीटर की पैदल यात्रा करना पड़ी थी।
जानकारी के लिए बता दे यह ग्रन्थ भिक्षुओ और भिक्षुणियो के लिए बताये गए नियमों के साथ-साथ सम्पूर्ण मानवता के लिए उन अमूल्य जीवन मूल्यों को संजोय हुए है जो आज और आने वाले कल में भी भटके हुए मनुष्य का मार्गदर्शन करता रहेगा। - सुत्तपिटक- सुत्तपिटक भी बौद्ध धर्म का ग्रन्थ है। यह त्रिपिटक के तीन भागो में से एक है। जानकारी के लिए बता दें सुत्तपिटक में भगवान् बुद्ध के सिद्धांतो को संग्रहित किया गया है।
सुत्तपिटक 5 निकायों में विभक्त है। इसमें आपको छोटी-छोटी कहानियां, गद्य संवाद आदि मिलेंगे। सुत्तपिटक में लगभग 10 हजार से अधिक सूत्र शामिल है। - अभिधम्मपिटक – जानकारी के लिए बता दें अभिधम्मपिटक में 7 ग्रन्थ है। जिनके नाम आप नीचे दी गई जानकारी से प्राप्त कर सकते है –
- धम्मसंगनी
- धातुकथा
- कथावत्यु
- पट्ठान
- तक
- पुग्गलपंजति
- व्यवधान
त्रिपिटक की विशेषताएं
यहाँ हम आपको त्रिपिटक की मुख्य विशेषताओं के विषय में जानकारी देने जा रहें है। आप नीचे दिए गए पॉइंटस के माध्यम से त्रिपिटक की प्रमुख विशेषताओं के बारे में बताने जा रहें है। इसकी विशेषताएं निम्न प्रकार है –
- Tripitak बौद्ध धर्म के आदर्श, सिद्धांत और नियमों को दर्शाता है।
- त्रिपिटक बौद्ध धर्म के लोगो के लिए अत्यधिक महत्व रखता है।
- यह बौद्ध धर्म के लोगो के लिए पवित्र ग्रन्थ है।
- त्रिपीटक का रचनाकाल या निर्माणकाल ईसा पूर्व 100 से ईसा पूर्व 500 है।