MC Panchkula, Digital Desk: लोन लेना एक बड़ी जिम्मेदारी है। अगर आप लोन नहीं भर पाते हैं, तो आपको इसके दुष्परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। बैंक आपके खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर सकता है। लेकिन, आपके कुछ अधिकार भी हैं। आइए जानते हैं कि लोन नहीं भरने पर बैंक क्या कर सकता है और आपके क्या अधिकार हैं। इसमें आपकी सुरक्षा के लिए भी क़ानूनी अधिकार बनाए हुए हैं। आइए जानते हैं की लोन समय पर ना चुकाने पर ग्राहकों से बैंक वसूली कैसे लेता है तथा ग्राहक के क्या अधिकार हैं।
बैंक नहीं कर सकता ग्राहक के साथ जबरदस्ती
आपको जानकारी के लिए बता दें लोन नहीं भरने पर बैंक आपको धमकाने या जबरदस्ती करने का अधिकार नहीं है। अगर आपके साथ ऐसा होता है, तो आप तुरंत कानूनी कार्रवाई कर सकते हैं। चूंकि बैंक इस काम को करने के लिए अपने एजेंट भेजता है पर उसे हद में रह कर यह कार्य करना होगा। यदि कोई ग्राहक समय पर लोन का भुगतान नहीं करता है तो उसे समझाने के लिए थर्ड पार्टी एजेंट आ सकते हैं। परन्तु कोई भी एजेंट ग्राहक के साथ जबरदस्ती नहीं कर सकता। यदि कोई ऐसा करता है तो उसे कानून की कार्यवाई झेलनी होगी।
बगैर नोटिस के बैंक नहीं कर सकते हैं लोन वसूली
लोन नहीं भरने पर बैंक आपकी संपत्ति जब्त कर सकता है। लेकिन, बैंक को इस प्रक्रिया को वैध तरीके से पूरा करना होता है। आपको अपने अधिकारों के बारे में पता होना चाहिए और अगर आपके साथ कोई गलत होता है, तो आपको तुरंत कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए।
क्या अपनी सुरक्षा के लिए ग्राहक कर सकते हैं बैंक की शिकायत
लोन नहीं भरने पर बैंक रिकवरी एजेंट भेज सकता है। रिकवरी एजेंट ग्राहक को लोन की किस्तें भरने के लिए कहता है। लेकिन, रिकवरी एजेंट को कुछ नियमों का पालन करना होता है।
रिकवरी एजेंट के घर आने का समय:
रिकवरी एजेंट सुबह 7 बजे से शाम 7 बजे के बीच ही ग्राहक के घर जा सकता है। इससे पहले या बाद में रिकवरी एजेंट ग्राहक के घर नहीं जा सकता।
रिकवरी एजेंट का व्यवहार:
रिकवरी एजेंट को ग्राहक के साथ सम्मानजनक व्यवहार करना होता है। उसे ग्राहक को धमकी नहीं देनी चाहिए, गाली नहीं देनी चाहिए, या उसके साथ मारपीट नहीं करनी चाहिए।
अगर रिकवरी एजेंट दुर्व्यवहार करता है तो क्या करें:
अगर रिकवरी एजेंट घर पर जाकर दुर्व्यवहार करता है, तो ग्राहक इसकी शिकायत बैंक में कर सकता है। बैंक में शिकायत करने के लिए ग्राहक को बैंक की शाखा में जाकर एक लिखित शिकायत देनी होगी।
अगर बैंक शिकायत की सुनवाई नहीं करता है, तो ग्राहक बैंकिंग ओंबड्समैन से संपर्क कर सकता है। बैंकिंग ओंबड्समैन एक स्वतंत्र अधिकारी है जो बैंकिंग मामलों में शिकायतों का निपटारा करता है।
कानूनी अधिकार क्या हैं?
भारत में, बैंकों को कर्ज वसूली के लिए कुछ अधिकार दिए गए हैं। इन अधिकारों का उपयोग करके, बैंक उन ग्राहकों से कर्ज वसूल सकते हैं जो अपनी किस्तें नहीं भरते हैं।
बैंक के कर्ज वसूली के अधिकारों में निम्नलिखित शामिल हैं:
- नोटिस भेजना: बैंक ग्राहक को नोटिस भेज सकता है कि वह अपनी किस्तें नहीं भर रहा है। नोटिस में ग्राहक को अपनी किस्तें जल्द से जल्द भरने के लिए कहा जाएगा।
- कानूनी कार्रवाई करना: अगर ग्राहक नोटिस के बावजूद अपनी किस्तें नहीं भरता है, तो बैंक उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर सकता है। इसमें आपके खिलाफ मुकदमा चलाया जा सकता है या आपकी संपत्ति जब्त की जा सकती है।
- आपकी संपत्ति जब्त करना: अगर ग्राहक अपनी किस्तें नहीं भरता है, तो बैंक आपकी गिरवी रखी गई संपत्ति जब्त कर सकता है। इसमें आपका घर, कार, या अन्य संपत्ति शामिल हो सकती है।
नोटिस के बिना बैंक कोई कार्रवाई नहीं कर सकता। बैंक को आपको नोटिस देना होता है कि आपने अपनी किस्तें नहीं भरी हैं और आपको अपनी किस्तें जल्द से जल्द भरने के लिए कहा जाता है। नोटिस में बैंक को यह भी बताना होता है कि अगर आप नोटिस के बाद भी अपनी किस्तें नहीं भरते हैं, तो बैंक आपके खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर सकता है।
अगर बैंक आपके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करता है, तो आपको अपने अधिकारों के बारे में पता होना चाहिए। आपको यह पता होना चाहिए कि आपको नोटिस के बारे में कब पता होना चाहिए, नोटिस में क्या जानकारी होनी चाहिए, और अगर बैंक आपके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करता है तो आपको क्या करना चाहिए।
यहां कुछ सुझाव दिए गए हैं जो आपको बैंक द्वारा कर्ज वसूली से बचने में मदद कर सकते हैं:
- अपनी लोन की किस्तें समय पर भरें।
- अगर आपको अपनी किस्तें भरने में कठिनाई हो रही है, तो बैंक से बात करें।
- अगर आप बैंक से बात करने में असमर्थ हैं, तो किसी वकील से सलाह लें।
अगर आप लोन नहीं भर पा रहे हैं, तो क्या करें?
- सबसे पहले, अपने बैंक से बात करें।
- अपने वित्तीय स्थिति के बारे में उन्हें बताएं।
- आपके लिए एक ऋण पुनर्गठन योजना बना सकते हैं।
- अगर आप ऋण पुनर्गठन योजना के लिए योग्य नहीं हैं, तो आप बैंक के साथ एक समझौता करने की कोशिश कर सकते हैं।
- अगर आप बैंक के साथ एक समझौता नहीं कर पाते हैं, तो आपको कानूनी सलाह लेनी चाहिए।