न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप (NSG) क्या है– यह एक परमाणु आपूर्ति कर्ता समूह एनएसजी 48 देशों का एक ऐसा समूह है जिसमें लक्ष्य परमाणु सामग्री और तकनीक एवं उपकरणों के निर्यात को नियंत्रित किया जाता है। Nuclear Suppliers Group परमाणु हथियार बनाने के लिए उपयोग किये जाने वाली सामग्री की आपूर्ति से लेकर नियंत्रण तक सभी इसी चक्र में शामिल है। न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप, न्यूक्लियर टेक्नोलॉजी और हथियारों के ग्लोबल एक्सपोर्ट पर नियंत्रण रखने में सहयोग करता है।
ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके की Nuclear Energy का इस्तेमाल केवल बिना आवाज के उद्देश्यों के लिए पूरा किया जाए , यानी की शांतिपूर्ण तरीके से इसका प्रयोग किया जाए। वर्ष 1974 में भारत के परमाणु परीक्षण के मलिनता के रूप में इसका गठन किया गया, मौजूदा समय में इसके 48 देश राष्ट्र सदस्य है।
Nuclear Suppliers Group की मांग भारत में
वर्ष 2008 में भारत द्वारा न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप (NSG) सदस्यता की मांग की गयी। लेकिन इसके एप्लीकेशन के मामले में कोई विचार नहीं लिया गया। इसका प्रमुख कारण एनपीटी या अन्य परमाणु अप्रयोग पर परीक्षण करने पर हस्ताक्षर करने संबंधी आवश्यकता है। हालाँकि भारत को सभी परमाणु निर्यातकों (nuclear exporters) के साथ न्यूक्लियर व्यवसाय करने के लिए एक विशेष छूट प्राप्त है। जिसके कारण अभी तक भारत की Nuclear Suppliers Group NSG में सदस्यता के विषय में कोई विचार नहीं लिया जा रहा है।
यदि भारत को एनएसजी समूह में मेम्बरशिप मिलती है तो इससे भारत देश को अनको फायदे होंगे। भारत ने रूस के अतिरिक्त फ़्रांस एवं अमेरिका के साथ में भी असैन्य परमाणु समझौता किया है। जिस कारण से उन्हें न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप (NSG) की सदस्यता की आवश्यकता है। एनएसजी की सदस्यता हासिल करने के बाद भारत इन संयंत्रों से परमाणु तकनीक और यूरेनियम बिना किसी भी समझौते के प्राप्त कर सकते है।
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एनएसजी समूह के सदस्य देशों के नाम की सूची
Nuclear suppliers group members countries name list आप नीचे दी गयी सूची के अंतर्गत देख सकते है। जिन देशों के नाम इस सूची में शामिल है वह NSG समूह के सदस्य है।
अर्जेंटीना | स्लोवेनिया | लाटविया |
स्लोवाकिया | साउथ अफ्रीका | स्पेन |
ऑस्ट्रेलिया | एस्टोनिया | लिथुआनिया |
डेनमार्क | साउथ कोरिया | स्वीडन |
ऑस्ट्रिया | फ़िनलैंड | माल्टा |
मैक्सिको | जर्मनी | न्यूज़ीलैण्ड |
बेलारूस | फ़्रांस | नॉर्वे |
नीदरलैंड | हंगरी | पोलैंड |
बेल्जियम | बुल्गारिया | टर्की |
ब्राजील | ग्रीस | स्विट्ज़रलैंड |
यूक्रेन | यूएस | लक्सेम्बर्ग |
कैनेडा | आइसलैंड | यूके |
चाइना | आयरलैंड | पुर्तगाल |
सर्विया | जापान | रूस |
क्रोअटिया | इटली | रूमानिया |
सायप्रस | कजाखस्तान | सीजेक |
न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप (NSG) की आवश्यकता भारत को क्यों है ?
Nuclear Suppliers Group NSG की आवश्यकता भारत को इसलिए है क्योंकि न्यूक्लियर रिएक्टर संचालित करने के लिए समुचित राशि के रूप में यूरेनियम उपलब्ध नहीं है। Nuclear Reactor में वृद्धि करने के लिए ही देश में हमें नियमित रूप से यूरेनियम का आयात सामग्री चाहिए। मौजूदा समय में न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप (NSG) का सदस्य न होने के कारण भारत देश बहुत से उत्पादों का आयात करने में असमर्थ है।
वर्तमान समय में यह अधिकार केवल कनाडा और ऑस्ट्रेलिया के पास है की वह uranium nsg member से अलग दूसरे देशों को भी दे सकते है। आगामी पीढ़ी के लिए रिएक्टरों के टेक्नोलॉजी के लिए यूरेनियम अधिक मात्रा में होनी चाहिए। इस संबंधी में फ्रांस, रसिया देशों से भी बातचीत की गयी है। लेकिन भारत को uranium nsg member होने के लिए यह अधिकार एनएसजी ग्रुप के द्वारा नहीं दिया गया।
न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप (NSG) सदस्यता के भारत को फायदे
एनएसजी सदस्यता के बाद भारत को इसके अनेकों फायदे होंगे, NSG मेम्बरशिप के लाभ इस प्रकार निम्नवत है।
- NSG मेंबरशिप के बाद जिस मेथर्ड का उपयोग दवाई बनाने में होता है भारत इसका उपयोग अब न्यूक्लियर पॉवर प्लांट बनाने में कर सकेगा।
- एनएसजी का हिस्सा बन जाने के बाद भारत अन्य देशों के जैसे ही अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी (state of the art technology) से सीखने के लिए मिलेगा। इस प्रक्रिया के आधार पर भारत की टैक्नोलॉजी विकसित होगी।
- Nuclear Suppliers Group (NSG) membership मिलने के बाद भारत में परमाणु केंद्र के द्वारा बिजली का उत्पादन सरलता से एवं अधिक परिमाण में होगा, जिसके बाद से भारत को यह सुनिश्चित करना होगा की वह इस ऊर्जा का उपयोग अच्छे एवं स्वच्छ स्रोत के लिए करेगा।
- एनएसजी सदस्यता के बाद से यूरेनियम का रेगुलर रूप में आयात होने लगेगा।
- Nuclear Suppliers Group (NSG) membership मिलने के बाद भारत न्यूक्लियर रिएक्टर एक्सपोर्ट कर सकते है। नई नई टैक्नोलॉजी के उपयोग के साथ, भारत परमाणु ऊर्जा (Nuclear Energy) डिवाइस के साथ प्रोडक्शन का व्यवसायी करण (commercialization) कर पायेगा। जिससे भारत को आर्थिक एवं रणनीतिक तौर पर लाभ मिलेगा, उदाहरण के तौर पर जैसे अभी भारत श्रीलंका को न्यूक्लियर एनर्जी के बारे में ट्रेनिंग देता है। एवं इससे संबंधित उत्पाद का निर्यात करता है
- न्यूक्लियर पॉवर के लिए एडवांस टेक्नोलॉजी यदि भारत को मिल जाती है तो इसके बाद नए न्यूक्लियर विकसित होंगे। इसके बाद भारत देश इसे श्रीलंका बांग्लादेश आदि को विक्रय कर सकते है। वर्तमान समय में विद्युत उत्पादन के लिए बांग्लादेश रुसी रियक्टर खरीदने का विचार कर रहा है।
- न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप (NSG) सदस्यता के बाद भारत का अपना एक खुद का पावर प्लांट होगा, जहाँ पर व्यवसाय और टैक्नोलॉजी संबंधित विकास संभव हो पायेगा। इसके मेक इन इंडिया को एक बहुत बड़ा लाभ मिलेगा।
- Nuclear Suppliers Group (NSG) membership से मिसाइल उपग्रह का निर्माण आसान हो जायेगा साथ ही भारत खुद इसे संस्थापित करके अंतरिक्ष में छोड़ भी सकता है। भारत के पास अभी भी उपग्रह छोड़ने की आजादी नहीं है।
- NSG membership मिलने के बाद भारत को न्यूक्लियर टेस्ट की आजादी मिल जाएगी।
- यदि भारत को यह मेंबरशिप मिलती है तो इसके बाद पाकिस्तान का इस समूह में शामिल होना मुश्किल हो जायेगा। यही कारण है की चीन इसलिए भारत की जगह पाकिस्तान के समर्थन में उसके साथ खड़ा है।
- चीन का कहना है की भारत ने एनपीटी में साइन नहीं किया है जिसके कारण वह NSG ग्रुप का मेंबर बनने के लायक नहीं है। चीन पूर्ण तरीके से एक पॉवर गेम खेल रहा है उसका मुख्य उद्देश्य यही है की भारत इस ग्रुप से बाहर रहे।
- वह इसलिए क्योंकि भारत विकसित टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करना सीख जायेगा।