भारतीय राष्ट्रीय ध्वज इतिहास महत्त्व निबंध– आज हम आपको अपने इस आर्टिकल के माध्यम से भारतीय राष्ट्रीय ध्वज इतिहास महत्व निबंध से संबंधित जानकारी को साझा करने जा रहे है। आप इस आर्टिकल में दी गयी जानकारी के अनुसार देख सकते है की Indian National Flag history क्या है।
किसी भी देश का सबसे महत्वपूर्ण प्रतीक देश का राष्ट्रीय ध्वज होता है। इसी तरह भारत का राष्ट्रीय ध्वज देश के लिए सर्वोपरि महत्व का प्रतीक है। भारत के राष्ट्रीय ध्वज को तिरंगे के नाम से भी पहचाना जाता है, Indian National Flag देश के लिए सम्मान, देश भक्ति एवं स्वतंत्रता का चिन्ह है। यह तिरंगा देश में विभिन्न धार्मिक, समुदाय, भाषा, संस्कृति आदि में अंतर् होने के बावजूद भी देश में रहने वाले सभी भारतीय लोगो की एकता का प्रतिनिधित्व करता है।
भारतीय राष्ट्रीय ध्वज में सबसे अद्भुत है की ध्वज एक आयताकार तिरंगा है। भारत के राष्ट्रीय ध्वज में मुख्यतः तीन रंग की पट्टी है एवं बीच में नीले रंग का चक्र है। तिरंगे की यह पट्टी, केसरिया ( Orange), सफ़ेद ( White), हरा (Green) रंग के है।
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भारतीय राष्ट्रीय ध्वज इतिहास महत्त्व निबंध
Indian National Flag history भारत के राष्ट्रीय ध्वज का प्रस्ताव वर्ष 1921 में महात्मा गाँधी जी के द्वारा किया गया था। राष्ट्रीय ध्वज को, पिंगली वेंकय्या जी के द्वारा भारतीय ध्वज को डिजाइन किया गया था। ध्वज की लम्बाई एवं चौड़ाई 3:2 अनुपात है, भारतीय राष्ट्रीय ध्वज में तीन रंग है केसरिया, सफ़ेद और हरा भारतीय तिरंगे के केंद्र में एक पारंपरिक चरखा था जिसमें संसोधन किया गया और इस चरखे की जगह अशोक चक्र द्वारा ली गयी, इस चक्र में 24 तीलियाँ है जो नीले रंग की है।
भारतीय तिरंगे में मौजूद इन तीनों रंगों को विशेष रूप से विशेषजों के द्वारा चुना गया है। रंग योजना एवं सांप्रदायिक जुड़ाव से बचने के लिए इन तीनों रंगों का चयन किया गया है। डॉ भीमराव आंबेडकर जो भारतीय संविधान के निर्माता है उन्होंने भारतीय तिरंगे में अशोक चक्र लगवाया है। देश के दूसरे राष्ट्रपति श्री राधा कृष्ण सर्वपल्ली ने नए झंडे की व्याख्या की है।
भारतीय ध्वज में रंगो का महत्व
- Indian National Flag में जो केसरिया रंग है वह साहस एवं बलिदान का प्रतिनिधित्व करता है।
- इसके आलावा सफ़ेद रंग शांति एवं सच्चाई को दर्शाता है।
- हरा रंग विश्वास और शिष्टता का प्रतीक है।
भारतीय राष्ट्रीय ध्वज के लिए स्वतंत्रता के कुछ दिनों पहले एक विशेष रूप से गठित की गयी संविधान सभा में यह महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया की Indian National Flag भारत में रहने वाले सभी धर्मों, समुदाय एवं सभी पार्टियों के लोगो को स्वीकार होना चाहिए। इसी वजह से भारत के झंडे में मौजूद रंगो का चयन विशेषज्ञों के द्वारा किया गया है, भारतीय तिरंगे के बीच में नीले रंग का अशोक चक्र कानून के शाश्वत चक्र का प्रतिनिधित्व करता है।
भारत के राष्ट्रीय ध्वज इतिहास निबंध (Indian National Flag history Essay)
निश्चित रूप से भारत के प्रत्येक नागरिक के लिए भारत का राष्ट्रीय ध्वज अत्यंत सम्मान का पात्र है। भारत का झंडा देश की संप्रभुता का प्रतिनिधित्व करता है, सबसे अद्भुत बात यह है की राष्ट्रीय ध्वज को फहराते हुए देखना प्रत्येक भारतीय नागरिक के लिए गर्व एवं ख़ुशी का क्षण है। भारत का राष्ट्रीय ध्वज सभी भारतीय नागरिकों के लिए एक राष्ट्र का गौरव है। जैसे की आप सभी लोग जानते है की प्रत्येक देश का एक राष्ट्रीय ध्वज होता है।
हमारे देश का भी एक राष्ट्रीय ध्वज है जिसे तिरंगा कहा जाता है तिरंगे में मौजूद सभी रंगों का अपने आप में एक विशेष महत्व है। सभी भारतीय नागरिकों को अपने राष्ट्र गौरव का सम्मान करना जरुरी है। एक स्वतंत्र राष्ट्र के नागरिक के रूप में राष्ट्रीय ध्वज हमारी विशिष्ट पहचान है, प्रत्येक स्वतंत्र राष्ट्र का अपना एक अलग ध्वज होता है। हमारा भी राष्ट्रीय ध्वज एकता और स्वतंत्रता का प्रतीक है, राष्ट्रीय ध्वज को विशेष रूप से कुछ राष्ट्रीय एवं विशेष अवसरों पर फहराने की भी अनुमति प्रदान की गयी है।
जैसे स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस के अवसर पर देश के सभी स्थानों में तिरंगे झंडे को फहराया जाता है। साथ ही अन्य अवसरों पर भी भारतीय नागरिकों को तिरंगे झंडे फहराने की अनुमति भी दी गयी है। राष्ट्रीय ध्वज हमारे लिए एक गर्व है जो देश के लिए मान सम्मान है। देश के कुल 3 किलों में 21 फीट गुणा 14 फीट के झंडे फहराए जाते है, इन किलो में से प्रमुख रूप से है मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले में स्थित किला, इसके बाद महाराष्ट्र के पनहाला किला और कर्णाटक का नारगुंड किला।
भारतीय झंडा बनाने के लिए वस्त्र का उपयोग
भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) ने पहली बार राष्ट्रीय ध्वज के लिए वर्ष 1951 में कुछ नियम तय किये है, इन नियमों के अनुसार तिरंगे निर्माण हेतु 1968 में यह नियम लागू किये गए यह नियम अत्यधिक कठोर है। देश के झंडे के लिए केवल उस वस्त्र का उपयोग किया जायेगा जो केवल खादी या हाथ से काता गया कपड़ा है। झंडे बनाने की प्रक्रिया को लेकर कई बार कपड़े बनाने को लेकर विशेष रूप से टेस्टिंग की जाती है। विशेष रूप से तिरंगा बनाने के लिए तो दो प्रकार की खादी का उपयोग किया जाता है।
इन दो खादी में वह धागा मौजूद है जो एक टाट बनाने के काम आता है और एक वह खादी जो कपड़े बनाने में उपयोग होता है। कपास, रेशम और ऊन का उपयोग खादी के लिए होता है। इसकी बुनाई की बात करे तो इसकी बुनाई भी सामान्य बुनाई से भिन्न होती है। यह बुनाई काफी रेयर होती है देश में लगभग एक दर्जन से भी कम लोग इस बुनाई को जानते होंगे। कर्णाटक, गदग और बागलकोट में ही खादी की बुनाई का कार्य किया जाता है।
आपको बता दें की हुबली एक मात्र एक ऐसा लाइसेंस प्राप्त संस्थान है जहाँ से झंडा उत्पादन एवं आपूर्ति का कार्य पूर्ण किया जाता है। झंडे को बुनाई से लेकर मार्किट तक पहुंचाने में कई बार भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) की प्रयोगशालाओं में इसकी टेस्टिंग की जाती है। कठिन क्वालिटी परीक्षण के बाद ही उसे वापस कारखानों में भेजा जाता है ,इसके बाद इस कपड़े में राष्ट्रीय ध्वज के तीनों रंगों को रंगा जाता है। सेंटर में अशोक चक्र का डिकॉशन किया जाता है इसके बाद फिर से BIS के माध्यम से झंडे का परिक्षण किया जाता है। इस कठिन परीक्षण के बाद इसे फहराया जाता है।
Indian National Flag history Essay Significance
तिरंगे का विकास
भारत के स्वतंत्रता संग्राम काल में भारतीय राष्ट्रीय ध्वज को निर्मित किया गया, राष्ट्रीय ध्वज बनाने की प्रथम योजना वर्ष 1857 में बनी थी। स्वतंत्रता के पहले संग्राम के समय में तिरंगे के लिए यह योजना बनी थी, लेकिन बीच में ही यह आंदोलन समाप्त हो गया। जिसके चलते यह योजना भी बीच में ही रुक गयी मौजूदा आकृति में पहुंचने से पहले भारतीय राष्ट्रीय ध्वज को कई मुकाम से गुजरना पड़ा। इस उन्नति में यह भारत में राजनैतिक विकास का परिचायक भी है।
झंडे का सम्मान
इंडियन लॉ के अनुसार राष्ट्रीय ध्वज हेतु बनाये गए नियमों के अनुसार ध्वज को हमेशा, निष्ठा, गरिमा और सम्मान के साथ देखना चाहिए। इससे देश की मान मर्यादा एवं अपने राष्ट्रीय ध्वज के प्रति प्रेम बढ़ेगा भारत की झंडा संहिता 2002 ने प्रतीकों और नामों के अधिनियम 1950 का अतिक्रमण किया और अब वह ध्वज प्रदर्शन और उपयोग का नियंत्रण करता है। झंडे के लिए लागू किये गए सरकारी नियमों में यह कहा गया है की राष्ट्रीय ध्वज का स्पर्श कभी भी जमीन या पानी के साथ नहीं होना चाहिए।
वह इसलिए क्युकी तिरंगे का उपयोग कभी भी टेबलक्लॉथ के रूप में या फिर किसी अन्य चीज को इससे कवर नहीं किया जा सकता है। और ना ही किसी आधार शिला पर इसे डाला जा सकता था वर्ष 2005 तक इसे पोशाक एवं वर्दी के रूप में उपयोग नहीं किया जा सकता था लेकिन वर्ष 2005, 5 जुलाई में सरकार के द्वारा सहिंता में संसोधन करके राष्ट्रीय ध्वज को पोशाक या वर्दी के रूप में प्रयोग करने की अनुमति दी। लेकिन राष्ट्रीय ध्वज को को पोशाक के रूप में उपयोग करने की अनुमति मिलने के बाद इसे कमर के नीचे वाले हिस्से में उपयोग नहीं किया जा सकता है।
कोई भी नागरिक राष्ट्रीय ध्वज को रुमाल या तकिये के रूप में प्रयोग नहीं कर सकते है यह पूर्ण रूप से निषेध है। झंडे पर किसी भी तरह का कोई सरनामा अंकित नहीं किया जा सकता है। झंडे का ध्यान रखने के लिए विशेष रूप से आपको यह देखना होगा की फ्लैग कही उल्टा तो नहीं रखा है। फूलों की पंखुड़ियाँ रखने के आलावा आप राष्ट्रीय ध्वज में किसी भी तरह की कोई अन्य वस्तु नहीं रख सकते है। ना ही आप तिरंगे को कही डुबो सकते है राष्ट्रीय ध्वज के मान सम्मान करने के लिए आपको यह सभी बाते ध्यान रखनी अनिवार्य है।