Haryana Property Tax- नगर पालिका क्षेत्र की सीमा के भीतर आवासीय और वाणिज्यिक दोनों सम्पत्तियों का कर के लिए मूल्यांकन किया जाता हैं। सभी मूल्यांकित लोगों से हाउस टैक्स भुगतान करने की उम्मीद की जाती हैं। हाउस टैक्स का मूल्यांकन प्रत्येक पाँच वर्ष में किया जाता हैं। यदपि नागरिक अपनी इच्छा से आंकलन पर आपत्ति कर सकता हैं। नागरिक ऑनलाइन पोर्टल का प्रयोग करके अपनी संपत्ति के बकाया Haryana Property Tax की जाँच कर सकता हैं। पूर्व समय में कर का भुगतान नगर निगम में स्थित सीएफसी कार्यालय में जाकर किया जाता था किन्तु अब ऑनलाइन भुगतान किया जा सकता हैं।
जब कोई नागरिक कोई घर खरीदता हैं तो उस ख़रीदे गए घर के लिए स्टाम्प ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन फीस एक बार देते हैं लेकिन प्रोपर्टी टैक्स/हाउस टैक्स प्रत्येक साल चुकाना होता हैं। हरियाणा सरकार द्वारा ऑनलाइन Haryana Property Tax जमा करने की सुविधा की शुरुआत हो चुकी हैं। ऑनलाइन टैक्स जमा करने से कार्यालयों की लम्बी-लम्बी कतारों से राहत मिल सकेगी। कोई व्यक्ति चाहे तो घर से ही ऑनलाइन टैक्स जमा कर सकता हैं। ऑनलाइन प्रॉपर्टी टैक्स की राशि जमा करने के लिए नेट बैंकिंग, डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड से कर सकते हैं।
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Haryana Property Tax लेने के उद्देश्य
Haryana Property Tax स्थानीय निकाय जैसे म्युनिसिपल कारपोरेशन, म्युनिसिपल कमेटी अथवा म्युनिसिपल कॉउंसिल को देना होता हैं। नागरिकों से सम्पत्ति कर लेकर बदले में आपका स्थानीय निकाय साफ-सफाई, पानी का कनेक्शन, लोकल सडकों का रखरखाव एवं पानी की सप्लाई आदि में खर्च करता हैं। यदि कोई व्यक्ति टैक्स नहीं देगा उसे निकाय द्वारा प्रदत्त विभिन्न सुविधाओं से वंचित किया जायेगा एवं अर्थ दंड भी लगाया जायेगा। निकाय इस प्रकार से व्यक्तियों पर क़ानूनी कार्यवाही कर सकता हैं। इन सभी प्रकार की समस्याओं से बचने के लिए अपना संपत्ति कर समय पर जमा करें।
हरियाणा नगरपालिका/स्थानीय निकाय में पंजीकरण
हरियाणा प्रॉपर्टी टैक्स -जब कोई व्यक्ति संपत्ति खरीदता हैं तो प्रॉपर्टी टाइटल नगरपालिका/स्थानीय निकाय के रिकार्ड में रजिस्टर होना चाहिए। बहुत बार यह देखा गया हैं कि ऑनलाइन सर्च करने पर प्रॉपर्टी का डिटेल्स नहीं प्राप्त होते हैं ऐसे में आपको अपने एरिया के नगरपालिका/स्थानीय निकाय में जा कर पंजीकरण करके ऑनलाइन अपडेट करवाना होगा। प्रॉपर्टी रजिस्टर या ट्रांसफर के समय आपको संपत्ति का स्वामित्व का प्रमाण देना होता हैं जैसे बैनामे की कॉपी (सेल डीड), सोसाइटी से क्लीयरेंस, भरा हुआ आवेदन पत्र, फोटो और पता प्रमाण पत्र आदि जमा करना होगा।
यदि आप पुरानी प्रोपर्टी खरीद रहे हैं तो आपके अपने नाम पर करवाने के लिए प्रॉपर्टी टैक्स का बकाया राशि जमा होना चाहिए तभी नए मालिक के नाम पर संपत्ति ट्रांसफर हो पाएगा। ऐसा ना करने पर पुराने मालिक का नाम टैक्स रसीद में दिखता रहेगा।
हरियाणा संपत्ति कर ऑनलाइन जमा करना – Haryana Property Tax
- हरियाणा के किसी भी एरिया के म्युनिसिपल कारपोरेशन, म्युनिसिपल कॉउंसिल में हाउस टैक्स जमा करने के लिए सर्वप्रथम वेबसाइट https://ulbhryndc.org/ पर जाना होगा
- इस वेबसाइट पर जाने के बाद MC Type में सबसे पहले आपको अपना म्युनिसिपल कारपोरेशन, म्युनिसिपल कमिटी या म्युनिसिपल काउंसिल में से कोई एक चुनना होगा, इसके बाद MC Name चुना होगा
- यहां पर एक फॉर्म दिखेगा उसमे आपको प्रॉपर्टी के डिटेल्स भर कर सर्च करना हैं।
- फिर अगले पेज में मैप दिखेगा यहाँ पर आपको प्रॉपर्टी आईडी या मोबाइल नंबर देकर सर्च करना हैं।
- जब स्क्रीन पर जब प्रॉपर्टी डिटेल्स आ जाये तो प्रॉपर्टी आईडी पर क्लिक करना होगा जहाँ पर प्रॉपर्टी का डिटेल्स मिल जाएगा।
हरियाणा संपत्ति कर को ऑफलाइन भरना
- यदि मालिक को सम्बंधित अधिकारियों से मूल्यांकन प्रदान नहीं किया जाता हैं, तो सबसे पहले संपत्ति का मूल्यांकन प्राप्त करना होगा
- कोई भी व्यक्ति सम्बंधित नगरपालिका कार्यालय से भुगतान की जाने वाली संपत्ति कर राशि का विवरण प्राप्त करना होगा
- दिए गए लिंक में यूएलबी मेनू का चयन करें और आवश्यक क्षेत्र के संपर्क विवरण प्राप्त करने का विकल्प चुने।
- सम्बंधित नगरपालिका कार्यालय में जाकर अन्य आवश्यक प्रमाण पत्र के साथ सम्पत्ति आईडी निर्धारण अधिकारी को जमा करें।
- एक बार जब अधिकारी राशि की पुष्टि कर देगा तो वह आवेदक को इसकी घोषणा करेगा
- आवेदक विवरण जमा कर सकता हे और काउंटर स्टाफ को सलाह दी गई संपत्ति कर का भुगतान कर सकता हैं।
- कर की राशि प्राप्त होने के बाद आवेदक को भुगतान किये गए कर की रसीद प्रदान की जायेगी
- कर अदायगी की राशिदों को सुरक्षित रखे
हरियाणा संपत्ति कर की वर्तमान स्थिति
शहरी केन्द्रो से प्रसंशा और वोट दोनों प्राप्त करने के लिए हरियाणा सरकार ने नगरपालिका क्षेत्रों में सपत्ति कर दरों को युक्तिसंगत बनाने का निर्णय लिया हैं। इस निर्णय से एक बार में संपत्ति कर जमा करने वाले को राशि में 30 प्रतिशत की छूट मिलेगी। विशेषज्ञों के अनुसार संपत्ति कर की दरों को युक्ति संगत बनाने से राज्य के करदाताओं को लगभग 90 प्रतिशत राहत मिलने की संभावना हैं। कैबिनेट ने शिफारिशों को मंज़ूरी देते हुए मंत्री रणदीप सिंह सुरजेवाला की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई।
राज्य में संपत्ति कर गणना को युक्तिसंगत बनाने के लिए इस समिति का गठन किया गया था। एक सरकारी प्रवक्ता के अनुसार नया फार्मूला बहुत सरल हैं, और इसमें कलेक्टर दर को ध्यान में नहीं रखा जाता हैं जिसे पहले विवाद में लिया जाता हैं। नया फार्मूला संपत्ति के मालिकों द्वारा स्व-मूल्यांकन की भी अनुमति देता हैं, इससे विशेष रूप से छोटे और मध्यम आकार की सम्पत्तियों को लाभ होगा।
हरियाणा संपत्ति कर के संसोधन
नई नगरपालिका संपत्ति कर व्यवस्था में नगर पालिकाओं को दो श्रेणियों में वर्गीकृत किया हैं। A-1 शहर गुडगाँव और फरीदाबाद हैं जबकि A-2 शहर अम्बाला, पंचकूला, करनाल, पानीपत, रोहतक, हिसार और यमुनानगर नगर निगम हैं। 300 वर्ग गज तक की आवासीय संपत्ति रखने वालों को A-1 शहरों में प्रति वर्ग गज़ एक रूपए का भुगतान करना होगा। 301 वर्ग गज़ से दो एकड़ से अधिक से आकार की अन्य चार श्रेणियों को 4 रुपए प्रति वर्ग गज़ और 10 रुपए प्रति वर्ग के बीच भुगतान करना होगा।
उन्होंने कहा कि 1,000 वर्ग गज़ तक के वाणिज्यिक स्थान की दरें 12 रुपए प्रति गज़ और 1,000 वर्ग गज़ से अधिक के लिए 15 रुपए प्रति वर्ग गज़ होगी। बेसमेंट जो कि विशेष रूप से पार्किंग के लिए प्रयोग किया जाता हैं, उन्हें संपत्ति कर से छूट प्रदान की गयी हैं।
संपत्ति कर से सम्बंधित कुछ मुख्य बातें
- संपत्ति कर के अंतर्गत सिर्फ कुछ चुनिंदा नगर पालिका व नगर निगमों को ही जोड़ा गया हैं
- इन शहरों व नगर निगमों में मकान मालिकों को उनकी संपत्ति, फ्लैट या मकान से मिलने वाली धनराशि को उस मकान मालिक की आय में जोड़ा जायगा जिस पर मालिक को कर देय होगा
- यदि किसी व्यक्ति को संपत्ति पर कर देना हैं तो यह अनिवार्य होगा कि संपत्ति व्यक्ति के नाम पर रजिस्टर हो
- मकान की मेंटेनेंस का खर्चा होने की स्थिति में वह खर्चा कर से लेस होगा
- यदि किसी मकान मालिक ने मकान के लिए ऋण लिया हैं तो मालिक को पहले ऋण चुकाना होगा, उसके बाद संपत्ति कर दिया जायगा।
- संपत्ति स्वामी के पुरे वर्ष की शुद्ध लाभ पर से ही कर की गणना होती हैं।
- अपनी संपत्ति को मकान मालिक स्वयं ही उपयोग करता हैं तो उसे अतिरिक्त कर देने की ज़रूरत नहीं।