High Court on Maternity Leave: कलकत्ता हाई कोर्ट में आरबीआई और एक महिला इंटर्न के मामले पर हाल ही में सुनवाई हुई जो मातृत्व अवकाश (मैटरनिटी लीव) से जुड़ी हुई थी। इस मामले में, आरबीआई ने एक महिला इंटर्न को मैटरनिटी लीव देने से मना कर दिया था। कलकत्ता हाई कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए आरबीआई को नसीहत दी कि मातृत्व अवकाश हर महिला कर्मचारी का अधिकार है, चाहे वे नियमित कर्मचारी हों या संविदा पर काम कर रही हों।
हर महिला का अधिकार
कलकत्ता हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया कि कोई भी नियोक्ता महिला कर्मचारी को मातृत्व अवकाश लेने से नहीं रोक सकता है। इसका मतलब है कि चाहे महिला कर्मचारी नियमित हो या संविदा पर, उसे मातृत्व अवकाश का अधिकार है।
क्या होती है Maternity Leave ?
मातृत्व अवकाश एक महत्वपूर्ण अवकाश है जो महिला कर्मचारियों को बच्चे के जन्म और उसके बाद की देखभाल के लिए दिया जाता है। यह अवकाश न केवल महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि बच्चे के विकास और उसकी देखभाल के लिए भी आवश्यक है।
क्या था मामला ?
नीता कुमारी नामक महिला ने 2011 में आरबीआई में नौकरी शुरू की थी और प्रेगनेंसी के दौरान मातृत्व अवकाश की मांग की थी, जिसे मना कर दिया गया था। फिर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और उसके एक एक्जीक्यूटिव इंटर्न के बीच मैटरनिटी लीव (मातृत्व अवकाश) को लेकर विवाद था। इस महिला इंटर्न ने प्रेगनेंसी के दौरान मैटरनिटी लीव की मांग की थी, जिसे आरबीआई ने इनकार कर दिया था क्योंकि उनके तीन साल के कॉन्ट्रैक्ट में मैटरनिटी लीव का कोई प्रावधान नहीं था। इसी के खिलाफ महिला ने कलकत्ता हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिस पर सोमवार, 26 फरवरी को सुनवाई हुई थी।
हर कर्मचारी को मिलेगा लाभ
कलकत्ता हाई कोर्ट ने आरबीआई को निर्देश दिया कि वे उस महिला इंटर्न को मुआवजा प्रदान करें, जिसे मातृत्व अवकाश से मना कर दिया गया था। इससे यह स्पष्ट होता है कि सभी महिला कर्मचारियों को मातृत्व अवकाश का अधिकार है, चाहे उनके संविदा में इसका उल्लेख हो या न हो।
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भारत में Maternity Leave का अधिकार
भारत में, Maternity Leave का अधिकार मैटरनिटी बेनिफिट (एमबी) एक्ट, 1961 द्वारा प्रदान किया जाता है। यह कानून सभी महिला कर्मचारियों पर लागू होता है, चाहे उनकी नौकरी रेगुलर हो या कॉन्ट्रैक्चुअल। एमबी एक्ट के तहत, महिला कर्मचारियों को 26 सप्ताह का Maternity Leave मिलता है। इसमें से 12 सप्ताह प्रसव से पहले और 14 सप्ताह प्रसव के बाद लिया जा सकता है। कुछ मामलों में, महिला कर्मचारी 12 सप्ताह तक का अतिरिक्त अवकाश भी ले सकती हैं।
एमबी एक्ट के तहत, महिला कर्मचारियों को Maternity Leave के दौरान पूर्ण वेतन मिलता है। इसके अलावा, उन्हें चिकित्सा खर्चों के लिए भी कुछ लाभ मिलते हैं।
मौलिक अधिकारों का हनन न करे
कलकत्ता हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि मातृत्व अवकाश देने से मना करना भेदभाव है और यह एक व्यक्ति के मौलिक अधिकारों का हनन है। इसलिए, हर महिला कर्मचारी को मातृत्व अवकाश का अधिकार होना चाहिए।
नौकरी रेगुलर या कॉन्ट्रैक्चुअल, सभी महिलाओं को मिलेगी Maternity Leave
हाल ही में, केंद्र सरकार ने सभी महिला कर्मचारियों को Maternity Leave का अधिकार देने का फैसला किया है। यह फैसला उन महिला कर्मचारियों के लिए भी लागू होगा जो कॉन्ट्रैक्चुअल आधार पर काम करती हैं। यह फैसला महिलाओं के अधिकारों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। यह महिलाओं को मातृत्व का अधिकार प्रदान करेगा और उन्हें बच्चे के जन्म और उसके बाद की देखभाल के लिए आवश्यक समय देगा।
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