आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में महिलाओं में PCOD यानी पॉलीसिस्टिक ओवरियन डिजीज की समस्या तेजी से बढ़ रही है। यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें महिलाओं के ओवरी में छोटे-छोटे सिस्ट बन जाते हैं जिससे हॉर्मोनल असंतुलन होता है। National Institute of Health and Research के अनुसार, भारत में लगभग 10% महिलाएं इस बीमारी से ग्रस्त हैं। लेकिन क्या हैं इसके कारण और इससे बचने के उपाय? चलिए जानते हैं एक्सपर्ट्स की राय में।
क्या होता है PCOD ?
PCOD, जिसे Polycystic Ovarian Disease (पॉलीसिस्टिक ओवेरियन डिजीज) भी कहा जाता है, महिलाओं में होने वाला एक हार्मोनल विकार है। यह तब होता है जब अंडाशय में छोटे-छोटे द्रव से भरे थैली (cysts) बन जाते हैं, जिसके कारण अंडे का विकास और ovulation (अंडोत्सर्ग) बाधित होता है।
बीमारी के निदान और उपचार के लिए मरीज़ को आहार में परिवर्तन, नियमित व्यायाम, और कभी-कभी दवाइयों की जरूरत पड़ सकती है। यह स्थिति लंबे समय तक बनी रह सकती है, लेकिन सही जीवनशैली और चिकित्सा हस्तक्षेप से इसके लक्षणों को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है।
क्यों बढ़ रही है PCOD की समस्या?
- अस्वस्थ जीवनशैली: आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी और अस्वस्थ खानपान की आदतों से PCOD की समस्या बढ़ रही है। फास्ट फूड और तला-भुना खाना इसका एक बड़ा कारण है।
- तनाव: ज्यादा तनाव लेने से भी महिलाओं में PCOD की समस्या हो सकती है। तनाव हमारे हार्मोन्स पर असर डालता है जिससे PCOD होने का खतरा बढ़ जाता है।
- शारीरिक निष्क्रियता: व्यायाम न करना और दिन भर बैठे रहने की आदत से भी PCOD हो सकता है। शारीरिक सक्रियता की कमी से शरीर में इंसुलिन का स्तर बढ़ जाता है जो PCOD को बढ़ावा देता है।
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PCOD के बढ़ने के कारण
PCOD यानी पॉलीसिस्टिक ओवरियन डिजीज महिलाओं में एक आम हार्मोनल विकार है जिसके बढ़ने के कई कारण हो सकते हैं। सबसे पहला कारण है जीवनशैली में बदलाव, जैसे कि असंतुलित आहार, अधिक जंक फूड का सेवन, और शारीरिक गतिविधियों की कमी। इसके अलावा, अत्यधिक तनाव और अनियमित नींद के पैटर्न भी PCOD के विकास में योगदान दे सकते हैं।
मोटापा एक और प्रमुख कारण है, क्योंकि यह इंसुलिन प्रतिरोध को बढ़ाता है, जिससे हार्मोनल असंतुलन होता है और PCOD की स्थिति खराब होती है। आनुवांशिकता भी इस स्थिति के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, यदि परिवार में किसी को PCOD की समस्या रही है, तो इसके विकसित होने की संभावना बढ़ जाती है। इन सभी कारणों के बीच, जीवनशैली में सुधार और स्वस्थ आदतों को अपनाने से PCOD के प्रभाव को कम किया जा सकता है।
क्या लक्षण है बीमारी के ?
- अनियमित मासिक धर्म: PCOD से पीड़ित महिलाओं को मासिक धर्म अनियमित या देर से आता है।
- बांझपन: PCOD महिलाओं में बांझपन का एक प्रमुख कारण है।
- त्वचा संबंधी समस्याएं: PCOD से पीड़ित महिलाओं को मुंहासे, तैलीय त्वचा और बालों का झड़ना जैसी त्वचा संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।
- वजन बढ़ना: PCOD से पीड़ित महिलाओं को वजन बढ़ने की समस्या हो सकती है।
- अत्यधिक बालों का बढ़ना: PCOD से पीड़ित महिलाओं के चेहरे, छाती और पेट पर अत्यधिक बाल बढ़ सकते हैं।
PCOD से बचाव के उपाय
- स्वस्थ वजन बनाए रखें: यदि आप मोटापे से ग्रस्त हैं, तो वजन कम करने से PCOD का खतरा कम हो सकता है।
- नियमित रूप से व्यायाम करें: नियमित रूप से व्यायाम करने से PCOD का खतरा कम हो सकता है।
- स्वास्थ्यकर जीवनशैली अपनाएं: जंक फूड का सेवन कम करें, धूम्रपान और शराब से बचें।
- तनाव कम करें: तनाव PCOD के लक्षणों को बढ़ा सकता है।
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