दोस्तों, आप सभी जानते होंगे कि भारत एक अधिक जनसंख्या वाला देश है। अधिक जनसंख्या होने के कारण भारत में बेरोजगारी की समस्या भी सबसे अधिक है। भारत में बढ़ती जनसंख्या के कारण बेरोजगारी की समस्या भी दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। आइये यहां हम आपको भारत में बेरोजगारी की समस्या पर लेख निबंध कैसे लिखें इसके बारे में जानकारी देने जा रहें हैं। Unemployment is Big Problem in India Essay in Hindi सम्बंधित जानकारी प्राप्त करने के लिए इस लेख को ध्यानपूर्वक अंत तक पढ़िए –
प्रस्तावना
भारत में ही नहीं बल्कि लगभग दुनिया के सभी देशों में बढ़ती जनसंख्या ने बेरोजगारी को आज विस्फोटक स्थिति में लाकर खड़ा कर दिया है। बेरोजगारी किसी भी देश के विकास में प्रमुख बाधाओं में से एक है जो प्रगति के मार्ग को तेजी से अवरूद्ध करती है।
बेरोजगारी का अर्थ
एक कुशल और प्रतिभाशाली व्यक्ति को कई कारणों से उचित नौकरी न मिलना ही बेरोजगारी है। कहने का मतलब है जब किसी व्यक्ति को अपनी जीविका के लिए कोई काम नहीं मिलता है, तो उसे बेरोजगार कहते है और उसकी यह समस्या बेरोजगारी कहलाती है।
बेरोजगारी के प्रकार (भारत में बेरोजगारी की समस्या)
बेरोजगारी कई प्रकार की होती है। जिसके बारे में हम आपको नीचे दिए गए पॉइंट्स के माध्यम से बताने जा रहें हैं। बेरोजगारी के प्रकार निम्न प्रकार है –
- छिपी बेरोजगारी
- अलप बेरोजगारी
- खुली बेरोजगारी/अनैच्छिक बेरोजगारी
- ऐच्छिक बेरोजगारी
- शिक्षित बेरोजगारी
- मौसमी बेरोजगारी
- चक्रीय बेरोजगारी
- छिपी बेरोजगारी – जैसा कि नाम से ही प्रतीत हो रहा है छिपा होना यानी दिखाई न देना। यह बेरोजगारी प्रत्यक्ष रूप से दिखाई हीं देती है। इसलिए इसे छिपी बेरोजगारी कहा जाता है। इस प्रकार की बेरोजगारी कृषि क्षेत्र में दिखाई देती है। यहाँ आवश्यकता से अधिक लोग काम में लगे होते हैं। यदि उनमें से कुछ लोगो का हटा दिया जाए। तब भी उत्पादन में कोई कमी नहीं होगी।
- अल्प बेरोजगारी – जब किसी व्यक्ति के हिसाब से कम कार्य मिले या जब कुछ ही समय के लिए काम मिले तो इस स्थिति को अल्प बेरोजगारी कहा जाता है। यदि किसी इंजीनियर को क्लर्क का काम दिया जाएगा तो उसकी योग्यता का पूरा लाभ नहीं मिलेगा। इसीलिए इसे अल्प बेरोजगारी कहा जाता है।
- खुली या पूर्ण बेरोजगारी अथवा अनैच्छिक बेरोजगारी – जब कोई व्यक्ति काम तो करना चाहता है और वह काम करने को पूरी तरह से तैयार भी है, लेकिन उसे काम नहीं मिलता है, तो उस स्थिति को पूर्ण या खुली बेरोजगारी कहते हैं। भारत में पूर्ण बेरोजगारी बहुत अधिक है। यहाँ करोड़ो से भी अधिक ऐसे बेरोजगार लोग है और इनकी संख्या निरंतर बढ़ती जा रही है।
- ऐच्छिक बेरोजगारी – ऐच्छिक बेरोजगारी उसे कहते हैं जब कोई व्यक्ति बाजार में प्रचलित मजदूरी दर पर काम करने को तैयार नहीं है अर्थात वह ज्यादा मजदूरी की मांग कर रहा है और ज्यादा मजदूरी नहीं रही है। अर्थात ऐसे व्यक्ति जो अपनी मर्जी से बेरोजगार है और बेरोजगारी की दर बढ़ा रहे हैं।
- मौसमी बेरोजगाइ – जैसा कि आप सभी जानते ही होंगे फसल काटने के लिए मजदूरों को रखा जाता है, ऐसे ही भवन निर्माण के समय मजदूर रखे जाते हैं और काम होने के बाद वे बेरोजगारी हो जाते हैं ,अर्थात जब किसी व्यक्ति को साल में कुछ महीनो या कुछ समय के लिए ही काम मिलता है और शेष समय वह बिना काम के व्यतीत करता है, तो उस स्थिति को मौसमी बेरोजगारी कहा जाता है।
- शिक्षित बेरोजगारी – ऐसे व्यक्ति या युवा जो पढ़े-लिखे होते हैं लेकिन किसी प्रकार की कोई नौकरी नहीं कर रहे होते हैं तो उन्हें शिक्षित बेरोजगार कहते हैं। शिक्षित बेरोजगारी शिक्षित या पढ़े-लिखे लोगो में ही होती है क्योंकि ये लोग शिक्षित नौकरी ही चाहते हैं। लेकिन नौकरियों की संख्या इतनी अधिक नहीं है कि सभी को नौकरी दी जा सके। इस कारण भारी संख्या में शिक्षित लोग बेरोजगार है और ऐसी अवस्था को ही शिक्षित बेरोजगारी कहा जाता है।
- चक्रीय बेरोजगारी – इस प्रकार की बेरोजगारी अर्थव्यवस्था में चक्रीय उतार-चढ़ाव के कारण पैदा होती है.जब अर्थव्यवस्था में समृद्धि का दौर होता है तो उत्पादन बढ़ता है रोजगार के नए अवसर पैदा होते हैं और जब मंदी का दौर आता है तो उत्पादन कम होने से लोगो की जरूरत होती है जिसके कारण बेरोजगारी बढ़ती है।
भारत में बरोजगारी के कारण
बेरोजगारी के कई कारण हो सकते हैं। भारत में बेरोजगारी बढ़ने के कारण निम्न प्रकार है –
- जनसंख्या वृद्धि
- मशीनीकरण
- कुटीर उद्योग में गिरावट
- निर्धनता
- दोषपूर्ण शिक्षा प्रणाली
- कृषि क्षेत्र का पिछड़ापन
- नए रोजगारों में कमी
- जनसंख्या वृद्धि – तेजी से बढ़ती जनसंख्या बेरोजगारी के प्रमुख कारणों में से एक है। हालांकि देश की जनसंख्या जिस गति से बढ़ रही है, उस गति से उद्योग, नौकरियों और राष्ट्रीय आय में वृद्धि नहीं हो रही हैं। जिसके कारण बेरोजगारी दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।
- दोषपूर्ण शिक्षा प्रणाली – किसी भी देश की शिक्षा प्रणाली उस देश के सामाजिक, आर्थिक और राजनितिक स्तर पर अपना प्रभाव डालती है। बेरोजगारी की समस्या का एक प्रमुख कारण दोषपूर्ण शिक्षा प्रणाली है। दोषपूर्ण शिक्षा प्रणाली से मतलब शिक्षा का अभाव यानि अशिक्षा से है। यही कारण है कि भारत में बेरोजगारी जैसी समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं।
- नए रोजगारों की कमी – कई तकनीकी समस्याओं और बढ़ती जनसंख्या के कारण रोजगार के अवसर नहीं बढ़ पा रहें हैं। अतः लोगो को पर्याप्त रूप से रोजगार उपलब्ध नहीं हो पाते हैं। क्योंकि रोजगार नहीं बढ़ रहें हैं। यही कारण है कि नए रोजगारों की कमी हो रही है।
- निर्धनता – निर्धनता किसी भी व्यक्ति के बेरोजगार होने का एक प्रमुख कारण है। भारत में निर्धनता के कारण लोगो को उचित संसाधन उपलब्ध नहीं हो पाते हैं। इसके अलावा निर्धन व्यक्ति एक अच्छी शिक्षा से भी वंचित रह जाते हैं। जिससे वह एक अच्छा रोजगार प्राप्त नहीं कर पाते है और बेरोजगार रह जाते है। इसलिए कहा जा सकता है कि निर्धनता बेरोजगारी का सबसे प्रमुख कारण है।
- मशीनीकरण – जैसा कि आप सभी जानते ही होंगे आजकल किसी भी कार्य को करने के लिए व्यक्तियों के बजाय मशीनों का प्रयोग किया जाने लगा है। पहले रोजगार के आधे से ज्यादा कार्य लोगो द्वारा पूरे किये जाते थे और बेरोजगारी जैसी समस्या भी इतनी अधिक नहीं थी। परन्तु वर्तमान में लगभग सभी कार्य मशीनों द्वारा ही किये जाते हैं। अतः मशीनीकरण से कई लोगो का रोजगार छीन जाने के कारण देश में बेरोजगारी की समस्या में वृद्धि होने लगी है।
बेरोजगारी दूर करने के उपाय
बेरोजगारी को पूर्ण रूप से तो दूर नहीं किया जा सकता है लेकिन सही दिशा में कुछ प्रयास करने से बेरोजगारी की दर में कमी अवश्य लायी जा सकती है। सबसे पहले हमे जनसंख्या पर नियंत्रण करना होगा। जनसंख्या नियंत्रित करने के लिए हमे खुद से जागरूक होना पड़ेगा। सरकार को छोटे-छोटे बिज़नेस को बढ़ावा। इसके लिए सरकार को कई नीति नियम बनाने होंगे। यदि अधिक मात्रा में छोटे-छोटे बिज़नेस को बढ़ावा दिया जाएगा तो युवाओं को ज्यादा से ज्यादा नौकरी के अवसर प्राप्त होंगे।
स्वरोजगार को सरकारी सहायता के साथ और अधिक प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। भारत एक कृषि प्रधान देश है। सरकार को प्रत्येक विशेष रूप से कृषि के सुधार पर ध्यान देना चाहिए। बेहतर सिंचाई सुविधाएँ, बेहतर कृषि उपकरण, बहु फसल चक्रण और फसल प्रबंधन के बारे में ज्ञान के प्रसार पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए।
हमे अपनी पुरानी शिक्षा नीति को बदलना पड़ेगा। व्यावसायिक तथा तकनीकी शिक्षा पर अधिक जोर देना होगा। भारत सरकार ने दर को कम करने के लिए कई कदम उठायें हैं। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) और राजीव गांधी स्वावलंबन रोजगार योजना जैसी योजनाएं भारत में बेरोजगारी की समस्या के समाधान के लिए सरकार द्वारा की गई पहल है।
बेरोजगारी एक अभिशाप
बेरोजगारी हमारे देश के लिए अभिशाप बन गई है। बेरोजगारी देश के युवा लोगो की मानसिक शांति छीन लेती है। देश के युवाओं को तनावग्रस्त जीवन जीने पर मजबूत कर देती है। बेरोजगारी के कारण देश के कई लोग निर्धनता और भुखमरी के शिकार हो जाते हैं। युवाओं में बढ़ता आक्रोश, चोरी डकैती, हिंसा, अपराध और आत्महत्या जैसे अपराध करने पर मजबूर कर देता है। बेरोजगारी निराशा और असंतोष का कारण बनती है और विनाशकारी दिशाओं में युवाओं की ऊर्जा को नष्ट कर देती है। बेरोजगारी के कारण मानसिक स्थिति से बचने के लिए लोग ड्रग्स और शराब की बुरी आदतों से ग्रस्त है।
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उपसंहार
आज बेरोजगारी की स्थिति इतनी बढ़ चुकी है कि अगर इस पर अंकुश न लगाया गया तो देश की आर्थिक, सामाजिक, भौतिक एवं राजनीतिक दशा को हिला सकती है। यदि बेरोजगारी की बात भारत के परिपेक्ष में की जाए तो इसकी स्थिति बहुत ही खराब है। यदि इस स्थिति में सुधार होता है तो निश्चित रूप से ही हमारा देश विकसित देशों की श्रेणी में आ सकता है।
भारत में बेरोजगारी की समस्या पर निबंध सम्बंधित कुछ प्रश्न और उत्तर
भारत में बेरोजगारी का सबसे बड़ा कारण क्या है ?
बेरोजगारी का अर्थ क्या है ?
भारत में बेरोजगारी के क्या कारण हैं ?
जैसे कि इस लेख में हमने आपको भारत में बेरोजगारी की समस्या पर लेख कैसे लिखे इसके बारे में लिखकर समझाया है। लेकिन अगर आपको कोई भी जानकारी या किसी भी टॉपिक पर निबंध या लेख लिखना हो तो आप नीचे दिए गए कमेंट सेक्शन में जाकर मैसेज कर सकते है। हमारी टीम द्वारा आपको जानकारी अवश्य दी जाएगी। आशा करते हैं आपको हमारे द्वारा दी गई जानकारी से सहायता मिलेगी।