GM edible oil : जेनेटिकली मोडीफायड (जीएम) फसलों के खाने पर हमेशा से विवाद रहा है। तमाम देशों में इस विषय पर आंदोलन चल रहे हैं। कुछ देशों ने इसके सीमित इस्तेमाल को अनुमति दी है, जबकि कुछ ने इसे पूरी तरह से निषेधित किया है। भारत सरकार ने हाल ही में जीएम सरसों की वाणिज्यिक खेती को अनुमति दी है, जिसके खिलाफ न्यायिक और सार्वजनिक विरोध है। कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि यह मानव स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकता है, जबकि उद्योग जगत का कहना है कि भारतीय लोग इस समय जेनेटिकली मोडीफायड फसलों से उत्पादित बीज का 30 प्रतिशत तेल उपभोग करते हैं।
कहां से आता है GM बीजों का तेल
भारत में केवल जेएम कपास की खेती की अनुमति है। भारत में उत्पन्न होने वाले कॉटनसीड ऑयल का उपयोग पहले से हो रहा है, जिसे जेएम कपास के बीज से बनाया जाता है। इसके अलावा, भारत में बड़े पैमाने पर खाद्य तेल का आयात किया जाता है। अमेरिका में कनोला सीड जीएम फसल से उत्पन्न होता है, जिसका तेल भारत में आता है। पिछले कुछ सालों से भारत में सोयामील का आयात हो रहा है, जो जीएम फसल से उत्पन्न होती है। साथ ही, बड़े पैमाने पर तेल आयात करने की आवश्यकता होती है, इसलिए अन्य फसलों के विपरीत जेएम खाद्य तेल के आयात को लेकर उतनी कड़ी नहीं है।
भारत में तेल की खपत के आंकड़े
बिज़नेस स्टैंडर्ड की एक खबर के अनुसार, 30 प्रतिशत खाद्य तेल GM फसलों से आता है। भारत में साल में कुल 230 लाख टन तेल का उपभोग होता है। इसमें से 110 लाख टन घरेलू स्रोतों से आता है, जिसमें कॉटनसीड को छोड़कर अन्य GM फसलें शामिल हैं। कॉटनसीड से तेल का उत्पादन सालाना लगभग 10-11 लाख टन है। खाद्य तेल की कुल मांग 130 लाख टन आयात से पूरी होती है। पॉम ऑयल का 80 लाख टन आयात होता है, जो GM मुक्त है। दूसरी ओर, सोया ऑयल और सनफ्लावर ऑयल GM टेक्नोलॉजी से उत्पादित बीजों से तैयार किए जाते हैं।
GM तेल को खतरनाक मानते हैं विरोधी
GM फसलों का विरोध करने वाले इसे स्वास्थ्य के लिए खतरनाक मानते हैं। GM फसलों के विरोधी डॉक्टरों और कृषि वैज्ञानिकों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की है कि GM सरसों की मंजूरी को तत्काल खत्म किया जाए। डाक्टरों का कहना है कि कीटों से बचाव करने वाली फसलों के खाने से लोग जहरीले कीटनाशक काते हैं और लंबे समय से इसके इस्तेमाल से स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं आएंगी। इसके अलावा यह देसी पैदावार के साधनों को खत्म कर देगा।
GM की ऐसी भी क्या मजबूरी
GM फसलों की प्रति हेक्टेयर पैदावार अधिक होती है। सरकार का तर्क है कि खाद्य तेल का बड़े पैमाने पर आयात करना पड़ता है, जिसमें विदेशी मुद्रा खर्च होती है। ऐसे में उत्पादन बढ़ाना मजबूरी है, जिससे आयात पर निर्भरता खत्म हो। इसके अलावा सरकार का कहना है कि हर तरह के खतरों को लेकर परीक्षण किया जा चुका है और इसका विरोध कर रहे लोगों की ओर से उठाए जा रहे सवाल निराधार हैं।
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