भारत के स्वतंत्रता सेनानियों के नाम : – जैसा कि आप सभी जानते ही होंगे पिछले वर्ष 2022 में भारत का 75वां स्वतंत्रता दिवस मनाया गया था। इसी क्रम में इस वर्ष 2023 में भारत देश का 76वां स्वतंत्रता दिवस मनाया जाएगा।
यह तो आप सभी जानते होंगे हमारा देश भारत ब्रिटिश शासन के चंगुल से वर्ष 1947 में आजाद हुआ है और यह आजादी भारत देश को इतनी आसानी से नहीं मिली थी बल्कि भारत को ब्रिटिश शासन के मुक्ति दिलाने में अनेक क्रांतिकारियों ने बलिदान दिए और बहुत से क्रांतिकारियों को तो अपनी जान से हाथ भी धोने पड़े।
क्या आप जानते है भारत को आजादी दिलाने में 20 क्रांतिकारियों के नाम कौन-कौन से शामिल थे। इस लेख में हम आपको भारत के स्वतंत्रता सेनानियों के नाम बताने जा रहें है। 76th Independence Day और आजादी के 20 क्रांतिकारियों के नाम जानने के लिए इस लेख को ध्यानपूर्वक अंत तक पढ़िए –
76th Independence Day (76वां स्वतंत्रता दिवस)
जानकारी के लिए बता दें भारत की स्वतंत्रता की 76वीं वर्षगांठ 15 अगस्त 2023 की मनाई जाएगी। हर वर्ष क्रांतिकारियों को भावपूर्ण श्रद्धांजलि देने और आजादी का जश्न मनाने के लिए जगह जगह पर भारतीय स्वतंत्रता दिवस या आजादी के अमृत महोत्सव के लिए कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है।
छिहत्तर वां स्वतंत्रता दिवस 2023 हाइलाइट्स
उम्मीदवार ध्यान दें यहां हम आपको 76th Independence Day: भारत के स्वतंत्रता सेनानियों के नाम से जुडी कुछ विशेष जानकारी देने जा रहें है। इन जानकारियों को आप नीचे दी गई सारणी के माध्यम से प्राप्त कर सकते है। ये सारणी निम्न प्रकार है –
आर्टिकल का नाम | भारत के स्वतंत्रता सेनानियों के नाम (krantikariyon ke naam) |
साल | 2023 |
अनुनायी | भारतीय |
प्रकार | राष्ट्रीय |
त्यौहार | सवतंत्रता दिवस |
उत्सव | झंडा फहराना, परेड, आतिशबाजी, देशभक्ति गीत गाना और राष्ट्रगान जन गण मन, भारत के प्रधानमंत्री और भारत के राष्ट्रपति का भाषण |
कब मनाया जाता है | हर साल 15 अगस्त को |
भारत के स्वतंत्रता सेनानियों के नाम
उम्मीदवार ध्यान दें यहाँ हम आपको भारत की आजादी के 20 क्रांतिकारियों के नाम बताने जा रहें है। इन क्रांतिकारियों के बारे में आप नीचे दी गई सारणी के माध्यम से जानकारी प्राप्त कर सकते है। ये सारणी निम्न प्रकार है –
क्रम संख्या | भारत के स्वतंत्रता सेनानियों के नाम | क्रम संख्या | भारत के स्वतंत्रता सेनानियों के नाम |
1 | भगत सिंह | 12 | लाला लाजपत राय |
2 | मंगल पांडे | 3 | खुदीराम बोस |
3 | चंद्रशेखर आजाद | 14 | जवाहरलाल नेहरू |
4 | महात्मा गाँधी | 15 | लोक मान्य बाल गंगाधर तिलक |
5 | सुभाष चंद्र बोस | 16 | सुखदेव थापर |
6 | भीका जी कामा | 17 | लक्ष्मी सहगल |
7 | गुलाब कौर | 18 | रानी लक्ष्मी बाई |
8 | किटटूर रानी चेन्नम्मा | 19 | सरोजिनी नायडू |
9 | खान अब्दुल गफ्फार खान | 20 | अशफाकुल्लाह खान |
10 | बेगम हजरत महल | 21 | बिपिनचंद्र पाल |
11 | चितरंजन दास | 22 | दादा भाई नौरोजी |
भारत के स्वतंत्रता सेनानियों के नाम के विषय में संक्षिप्त जानकारी
1. भगत सिंह (Bhagat Singh)
भगत सिंह का जन्म पंजाब के लायलपुर जिले (जो अब पाकिस्तान में है) के बंगा गांव में 28 सितम्बर 1907 में हुआ था। उनकी माता जी का नाम विद्यावती कौर और पिता जी का नाम सरदार किशन सिंह सिंधु था। भगत सिंह एक महान स्वतंत्रता सेनानी होने के साथ-साथ एक महान क्रांतिकारी भी थे।
उनके रोम-रोम में देश भक्ति की भावना थी। भगत सिंह के भारत को आजाद कराने के जोश को देखकर अन्य युवा भी उनसे प्रभावित होकर क्रान्ति के युद्ध में कूद पड़े। एक बड़ी संख्या में युवा उनसे जुड़े।
भारत को स्वतंत्रता दिलाने के लिए इन्होने चंद्रशेखर आजाद और पार्टी के अन्य सदस्यों के साथ मिलकर ब्रिटिश शासन का जमकर मुकाबला किया। भारत देश को स्वतंत्रता दिलाने के लिए क्रांतिकारी लड़ाई के दौरान उन्हें उनके दो साथियो सुखदेव और राजगुरु के साथ ब्रिटिश सरकार द्वारा फांसी दे दी गई। जन भगत सिंह को फांसी दी गई। मात्र 23 साल की उम्र में भगत सिंह की फांसी दे दी गई।
2. सुखदेव (Sukhdev)
Sukhdev का पूरा नाम सुखदेव थापर था। उनका जन्म 15 मई 1907 में पंजाब राज्य के लुधियाना में हुआ था। उनकी माता का नाम श्रीमती रल्ली देवी और पिता जी का नाम श्री राम लाल था। सुखदेव एक महान क्रांतिकारी होने के साथ-साथ एक स्वतंत्रता सेनानी भी थे।
सुखदेव, राजगुरु और भगत सिंह इन तीनो ने मिलकर ब्रिटिशों को धूल चटाई। लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने के लिए और ब्रिटिशों द्वारा किसानो और मजदूरों के खिलाफ नीतियां बनाने पर उन्होंने लाहौर षड्यंत्र की योजना बनाई थी और साथ ही उन्होंने ब्रिटिश संसद पर हमला भी किया था।
इसी कारण उन्हें ब्रिटिश शासन द्वारा जेल में बंद कर दिया गया था। 23 मार्च 1931 को उन्हें और भगत सिंह और राजगुरु के साथ फांसी पर लटका दिया गया था।
3. महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi)
Mahatma Gandhi का पूरा नाम मोहन दास करमचंद गांधी था। उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 में गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। उनके पिता जी का नाम करमचंद गांधी और माता जी का नाम पुतलीबाई था।
अल्पायु में ही महात्मा गांधी जी का विवाह कस्तूरबा गांधी जी से कर दिया गया था। इस विवाह से उनकी तीन संतान थी। उनके नाम – हरिलाल, मणिलाल, देवदास और रामदास था। महात्मा गांधी जी को राष्ट्रपिता की उपाधि दी गई थी। सब उन्हें बापू जी कहकर पुकारते थे।
गांधी जी बहुत ही आदर्शवादी, सिद्धांतवादी विचारधारा वाले थे। उन्होंने भारत को आजादी दिलाने के लिए हर संभव प्रयास किये। आज उन्ही के त्याग, समर्पण और बलिदान के कारण ही हम चैन की साँस ले पा रहें है।
गांधी जी की मृत्यु 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे द्वारा गोली मारने से हुई। गांधी जी न केवल एक महान समाज सुधारक, क्रांतिकारी थे बल्कि एक लेखक, पत्रकार और वकील भी थे। महात्मा गांधी जी ने भारत छोडो आंदोलन के दौरान भारतियों को नारा दिया –
“करो या मरो” | “Do or Die”
4. सुभाष चंद्र बोस (Subhash Chandra Bose)
Subhash Chandra Bose जी का जन्म 23 जनवरी 1897 को कटक, उड़ीसा राज्य, बंगाल प्रांत, ब्रिटिश भारत में हुआ था। इनकी माता जी का नाम प्रभावती देवी और पिता जी का नाम जानकीनाथ बोस था। सुभाष चंद्र बोस ने भी स्वतंत्रता संग्राम में बखूबी भूमिका निभाई।
उन्होंने भारत देश को स्वतंत्रता दिलाने के लिए अपना जीवन न्योछावर कर दिया। सुभाष चंद्र बोस में देशभक्ति की भावना कूट-कूट कर भरी थी। उन्होंने आजादी की लड़ाई लड़ते हुए एक नारा भी दिया था –
“तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूँगा“
You give me blood, I will give you freedom.
5. लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक (Lok Manya Bal Gangadhar Tilak)
Lok Manya Bal Gangadhar Tilak एक महान स्वतंत्रता सेनानी और समाज सुधारक थे। उनका जन्म 23 जुलाई 1856 को महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले के चिखली गांव में हुआ था। कुछ समय तक स्कूल और कॉलिजों में अध्यापन कार्य भी किया।
ये गणित विषय के अध्यापक थे। बाल गंगाधर तिलक का मानना था कि वह भारतीय सभ्यता के प्रति अनादर सिखाती है। बाल गंगाधर तिलक दक्कन शिक्षा सोसाइटी के संस्थापक थे। उनकी मृत्यु 1 अगस्त 1920 में मुंबई, महाराष्ट्र में हुई थी। इन्होने नारा दिया था –
“स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है, हम इसे लेकर रहेंगे“
6. मंगल पांडेय (Mangal Pandey)
Mangal Pandey जी का जन्म उत्तर प्रदेश राज्य के बलिया जिले के नगवा ग्राम में हुआ था। इनका जन्म एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। मंगल पांडेय जी का नाम दिवाकर पांडेय था।
वे बैरकपुर छावनी में बंगाल नेटिव इन्फैण्ट्री की 34वीं रेजीमेण्ट में सिपाही थे। प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में इन्होने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इसी कारण भारत सरकार ने उन्हें सम्मान देते हुए सन 1984 में एक डाक टिकट जारी किया गया।
उन्होंने गाय की चर्बी से भरे कारतूस को मुहँ से काटने पर मना करने पर गिरफ्तार कर लिया गया और फांसी की सजा भी सूना दी गई। उनकी मृत्यु 8 अप्रैल 1857 बैरकपुर, भारत में हुई थी। इनका प्रसिद्ध नारा था –
“मारो फिरंगी को“
7. जवाहर लाल नेहरू (Jawahar Lal Nehru)
जैसे कि आप सभी जानते है जवाहरलाल नेहरू भारत के प्रथम प्रधानमंत्री थे। उनका जन्म 14 नवम्बर 1889 ब्रिटिश भारत में इलाहबाद में हुआ था। इनके पिता जी का नाम मोतीलाल नेहरू था। वे एक धनी बैरिस्टर और एक पंडित थे।
इनकी माता जी का नाम स्वरूपरानी था। इनका कमला नेहरू से हुआ। जब स्वतंत्रता संग्राम चल रहा था उस समय भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा नेहरू जी को दो बार अध्यक्ष के रूप में चुना गया। उन्होंने कॉलिज की पढाई कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी (लंदन) से पूरी की।
वर्ष 1912 में नेहरू जी भारत लौटे और उन्होंने वकालत शुरू कर दी। वर्ष 1916 में उन्होंने कमला नेहरू जी से विवाह किया। वर्ष 1917 में नेहरू जी होम रूल लीग में शामिल हुए। इनकी मृत्यु 27 मई 1964 में नई दिल्ली में भारत में हुई थी। पंडित जवाहरलाल नेहरू जी ने नारा दिया –
“आराम हराम है“
8. बिपिनचंद्र पाल (Bipin Chandra Pal)
बिपिनचंद्र पाल एक महान स्वत्रंत्रता सेनानी होने के साथ-साथ क्रांतिकारी विचारों के जनक थे। उनका जन्म 7 नवंबर 1858 को भारत के हबीबगंज जिले में (अब बांग्लादेश में) हुआ था। उस जमाने में उन्होंने एक विधवा महिला से विवाह किया था जो उस समय के लिए बहुत ही दुर्लभ बात थी।
इसी कारण उन्हें अपने परिवार को भी छोड़ना पड़ा। अगर उन्हें किसी के विचार अच्छे नहीं लगते उन्होंने अपनी उच्च शिक्षा कोलकाता विश्वविद्यालय से प्राप्त की।
उन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन राष्ट्रहित के लिए न्यौछवर कर दिया। उनकी मृत्यु 73 की उम्र में 20 मई 1932 में हुई। बिपिन चन्द्र पाल की स्मृति में भारत सरकार ने सन 1958 में डाकटिकट जारी किया।
9. लाला लाजपत राय (Lala Lajpat Rai)
Lala Lajpat Rai एक महान स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थे। उनका जन्म 28 जनवरी 1865 को दुधिके, पंजाब, अविभाजित भारत (अब भारत में है) में हुआ था। इन्होने हिसार और हरियाणा के रोहतक जिले में कुछ समय तक वकालत की।
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी ने उन्हें गरम दल के प्रमुख नेता थे। लाला लाजपत राय, बिपिन चंद्र पाल और बाल गंगाधर तिलक इन तीनो की तिगड़ी को ‘लाल-बाल-पाल’ के नाम से जाना जाता है। इन तीनो ने भारत को सम्पूर्ण रूप से आजाद करने की मांग की थी। उसके बाद देश के अनेक युवा इस स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ गए।
उन्होंने देश को आजादी दिलाने के लिए अपना हर संभव प्रयास किये और आखिरी सांस तक आजादी की लड़ाई लड़ी। इनकी मृत्यु 17 नवम्बर 1928 (उम्र 63) लाहौर, अविभाजित भारत (अब पाकिस्तान में है) में हुई थी। उनकी मृत्यु होने से पूरे देश में शोक छा गया।
और उनकी मृत्यु का बदला चंद्र शेखर आजाद और राजगुरु और बिपिन चंद्र पाल ने ब्रिटिश सरकार पर हमला किया।
10. राजगुरु (Rajguru)
राजगुरु भारतीय स्वतंत्रता के प्रमुख क्रांतिकारियों में से एक थे। राजगुरु का पूरा नाम शिवहरि राजगुरु था। राजगुरु का जन्म सन 1907 में पुणे जिले के खेड़ा गाँव में हुआ था। जब राजगुरु की उम्र मात्र 6 साल थी उसी समय इनके पिता जी का निधन हो गया था।
उसके बाद पढाई के लिए राजगुरु वाराणसी आ गए थे। इन्होंने हिन्दू-धर्म ग्रंथो और वेदो का अध्य्यन किया।वाराणसी में ही राजगुरु क्रांतिकारियों के सम्पर्क में आये।
राजगुरु चंद्र शेखर आजाद से प्रभावित होकर उनकी हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी पार्टी में शामिल हो गए। पार्टी के लोग इन्हें रघुनाथ के नाम से जानते थे। राजगुरु एक अच्छे निशानेबाज थे। राजगुरु को 23 मार्च 1931 को सुखदेव और भगत सिंह के साथ फांसी पर लटका दिया गया था।
11. खुदीराम बोस (Khudiram Bose)
खुदीराम बोस एक युवा क्रांतिकारी और देशभक्त थे। Khudiram Bose का जन्म 3 दिसम्बर 1889 को पश्चिम बंगाल के मिदनापुर जिले के बहुवैनी नामक गाँव में हुआ था। खुदीराम बोस की माता जी का नाम लक्ष्मीप्रिया देवी था।
देश को आजादी दिलाने की भावना ने उनमे इतना जोस भर दिया कि उन्होंने 9 वीं कक्षा से ही पढ़ाई छोड़कर क्रांतिकारी आंदोलन में कूद पड़े।
मात्र 19 वर्ष की अल्पायु में इन्होंने भारत पर राज करने वाले ब्रिटिश सरकार पर बम फेंकर हमला किया और इसी कारण उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई। अपने अंतिम समय में भी उन्होंने अपने हाथ में भागवद गीता को अपने साथ रखा और ब्रिटिश सरकार द्वारा उन्हें फंदे से लटका दिया गया।
12. रानी लक्ष्मी बाई (Rani Laxmibai)
मुर्दो में भी जान डाल दें, उनकी ऐसी कहानी है।
वो कोई और नहीं, झांसी की रानी है।
रानी लक्ष्मी का जन्म 19 नवंबर 1835 को काशी में हुआ था। इनके पिताजी का नाम मोरोपंत ताम्बे था। भगीरथी इनकी माता जी थी। बाल्यकाल से ही लक्ष्मी बाई को मनुबाई के नाम से जाना जाता था। सन 1838 में लक्ष्मीबाई का विवाह गंगाधर राव से तय किये जाने की घोषणा की गई। सन 1851 में उन्होंने एक पुत्र को जन्म दिया।
लेकिन 4 महीने के बाद उनके पुत्र का निधन हो गया। लक्ष्मी बाई के पुत्र के निधन से सभी शोक में डूब गए और गंगाधर राव को इतना गहरा सदमा लगा कि वे फिर से स्वस्थ न हो सके और साल 1853 में गंगाधर राव का भी निधन हो गया।
27 फरवरी 1854 को लॉर्ड डलहौजी ने गोद नीति में तहत गंगाधर राव के दत्तक पुत्र बनाने की नीति को अस्वीकार कर दिया और साथ ही झांसी को अंग्रेजी सरकार में शामिल करने का एलान किया। इस बात को सुनते ही लक्ष्मी बाई के कहा – “मैं अपनी झांसी नहीं दूंगी।” 7 मार्च 1854 को अंग्रेजों ने झांसी पर अधिकार जमा लिया। यही से क्रांति की ज्वाला धधकी।
भारत के स्वतंत्रता सेनानियों के नाम 2023 से जुड़े कुछ (FAQ)
भारत देश कब आजाद हुआ था ?
2023 में कौन-सा स्वतंत्रता दिवस मनाया जाएगा ?
भारत देश के प्रधानमंत्री कौन है ?
भारत के राष्ट्रपति कौन है, नाम बताइये ?
लाल, बाल, पाल के नाम से किन क्रांतिकारियों को जाना जाता है ?
भारत को स्वतंत्रता दिलाने वाले 5 क्रांतिकारियों के नाम बताइये।
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