Legal Provision in Land Dispute: जमीन संबंधी विवादों में लगने वाली धाराएं और कानूनी सहायता दी जाती है किन्तु इनको लेकर कम ही लोगो को जानकारी होगी।
जमीन विवाद की मुख्य धाराएँ
जमीन संबंधी विवादों में कई प्रकार की धाराएं लग सकती हैं जो विवाद के प्रकार और गंभीरता पर निर्भर करती हैं। इन्ही में कुछ मुख्य धाराएँ इस प्रकार से होगी-
धारा 406: विश्वासघात और धोखाधड़ी
धारा 406 भारतीय दंड संहिता (IPC) में विश्वासघात और धोखाधड़ी से संबंधित है। यह धारा उन लोगों को दंडित करती है जो किसी व्यक्ति द्वारा उन पर किए गए विश्वास का गबन या धोखाधड़ी करते हैं और उनकी संपत्ति को गलत तरीके से अपने कब्जे में ले लेते हैं।
इस धारा के तहत दंड
- कैद: 3 साल तक
- जुर्माना: या दोनों
इस धारा के तहत शिकायत दर्ज करना
- पीड़ित व्यक्ति नजदीकी पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज करा सकता है।
- शिकायत में, पीड़ित को यह बताना होगा कि उसने आरोपी पर कैसे भरोसा किया और आरोपी ने उस विश्वास का गबन कैसे किया।
- पीड़ित को शिकायत के साथ सबूत भी पेश करने होंगे, जैसे कि लिखित समझौते, गवाहों के बयान आदि।
धारा 467: जालसाजी और धोखाधड़ी
धारा 467 भारतीय दंड संहिता (IPC) में जालसाजी और धोखाधड़ी से संबंधित है। यह धारा उन लोगों को दंडित करती है जो किसी जमीन या अन्य संपत्ति पर कब्जा करने के लिए फर्जी दस्तावेज बनाते हैं और उसका इस्तेमाल करते हैं।
इस धारा के तहत दंड
- कैद: 3 साल तक
- जुर्माना: या दोनों
इस धारा में शिकायत दर्ज करना
- पीड़ित व्यक्ति नजदीकी पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज करा सकता है।
- शिकायत में, पीड़ित को यह बताना होगा कि आरोपी ने कैसे फर्जी दस्तावेज बनाए और उनका इस्तेमाल करके उसकी जमीन या संपत्ति पर कब्जा कर लिया।
धारा 420: धोखाधड़ी और जमीन/संपत्ति विवाद
धारा 420 भारतीय दंड संहिता (IPC) में धोखाधड़ी से संबंधित है। यह धारा उन लोगों को दंडित करती है जो किसी व्यक्ति को धोखा देते हैं और उसकी संपत्ति या जमीन को गलत तरीके से अपने कब्जे में ले लेते हैं।
इस धारा के तहत दंड
- कैद: 7 साल तक
- जुर्माना: या दोनों
इस धारा में शिकायत दर्ज करना
- पीड़ित व्यक्ति नजदीकी पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज करा सकता है।
- शिकायत में, पीड़ित को यह बताना होगा कि आरोपी ने कैसे धोखाधड़ी की और उसकी संपत्ति या जमीन पर कब्जा कर लिया।
- पीड़ित को शिकायत के साथ सबूत भी पेश करने होंगे, जैसे कि लिखित समझौते, गवाहों के बयान आदि।
जमीन या अन्य संपत्ति से संबंधित सिविल कानून
जमीन और अन्य संपत्ति से संबंधित विवादों का निपटान दो तरीकों से किया जा सकता है-
1. सिविल प्रक्रिया
यह एक लंबी प्रक्रिया हो सकती है, लेकिन यह अपेक्षाकृत सस्ती है। इसमें, पीड़ित व्यक्ति सिविल न्यायालय में शिकायत दर्ज कर सकता है। न्यायालय दोनों पक्षों की बात सुनने के बाद फैसला सुनाएगा। यदि फैसला पीड़ित व्यक्ति के पक्ष में होता है तो न्यायालय आरोपी को जमीन या संपत्ति खाली करने का आदेश दे सकता है।
2. आपराधिक प्रक्रिया
यह एक त्वरित प्रक्रिया है, लेकिन इसमें अधिक खर्च हो सकता है। इसमें पीड़ित व्यक्ति पुलिस में शिकायत दर्ज करा सकता है। पुलिस जांच करेगी और यदि आरोप सही पाए जाते हैं तो आरोपी के खिलाफ FIR दर्ज करेगी। मामले की सुनवाई आपराधिक न्यायालय में होगी। यदि आरोपी दोषी ठहराया जाता है तो उसे जेल की सजा और/या जुर्माना हो सकता है।
कुछ जरुरी लिंक देखें
- National Legal Services Authority: https://nalsa.gov.in/: https://nalsa.gov.in/
- Department of Justice: https://doj.gov.in/: https://doj.gov.in/
- Bar Council of India: https://www.barcouncilofindia.org/: https://www.barcouncilofindia.org/
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