मिशन कर्मयोगी नागरिक की बदलती जरूरतों और आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए सरकार द्वारा सिविल सेवा क्षमता निर्माण के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम की परिकल्पना हैं।
कार्यक्रम को एक राष्ट्रीय कार्यक्रम के तहत सिविल सेवाओं को बढ़ाने के लिए तैयार किया हैं। इसको प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में एक शीर्ष निकाय द्वारा संचालिक किया जाता हैं।
योजना का मुख्य उदेश्य सिविल अधिकारीयों को कार्य क्षमता में बढ़ोत्तरी करना हैं। इस लेख के अंतर्गत आपको मिशन कर्मयोगी योजना से सम्बंधित सभी मुख्य जानकारियां जैसे योजना का उद्देश्य, लाभ, विशेषताएँ, संस्थागत ढांचा, iGOT कर्मयोगी मंच।
बहुत समय से सिविल सेवा अधिकारियों और कर्मचारियों को विशेष प्रकार का प्रशिक्षक देने की जरुरत प्रतीत हो रही थी। कर्मयोगी योजना के माध्यम से सरकारी अधिकारियों और कर्मचरियों को वस्तुनिष्ठ मूल्यांकन संभव होगा।
उनके मूल्याङ्कन की प्रणाली को प्रक्रिया पर आधारित न रखकर कार्य आधारित किया जायेगा। इस प्रकार से समझे कि यदि कोई अधिकरी ईमानदार हो तो वह इस गुण के अनुसार किस तरह कार्य को अच्छे से कर रहा हैं।
इस बात की समीक्षा होगी और जहाँ कोई कमी मिलती हैं तो उसमे सुधार किया जायेगा। कार्य क्षमता में सुधार होने से समाज के प्रत्येक वर्ग में सुधार होगा।
योजना का नाम | मिशन कर्मयोगी योजना |
लाभार्थी | सिविल अधिकारी |
उद्देश्य | कर्मचारियों को कौशल प्रशिक्षण देना |
योजना कार्यान्वक | भारत सरकार |
mission karmayogi launch date | September 20, 2020 |
मिशन कर्मयोगी आधिकारिक वेबसाइट | http://dopttrg.nic.in |
मिशन कर्मयोगी योजना का उद्देश्य
साथ ही यह योजना एक कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम हैं जिसके अंतर्गत ऑन द साइड ट्रेनिंग पर ज्यादा ज़ोर दिया जायेगा।कार्यक्रम पूर्ण करने के बाद सिविल अधिकारियों की कार्य शैली में सुधार होगा।
विभिन्न पदों पर नियुक्ति के बाद अधिकारियों को और अधिक सृजक, कल्पनाप्रवण, चुस्त, उन्नतिपसंद, ऊर्जावान, पारदर्शी, तकनीकी-संपन्न बनने के ली प्रशिक्षित किया जाएगा। मिशन कर्मयोगी योजना के दो मार्ग होंगे – स्वचलित और निर्देशित।
मिशन कर्मयोगी योजना के लाभ
- मिशन कर्मयोगी योजना का आरम्भ 2 सितम्बर 2020 को स्वयं प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में किया गया हैं।
- इस प्रशिक्षण कार्यक्रम को सिविल सेवा में आने वाले अधिकारीयों के लिए विकसित किया गया हैं।
- योजना के अंतर्गत सरकारी अधिकारियों, कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया जायेगा, जिससे वे सभी कार्य क्षमता में ज्यादा निपुण हो सकेंगे।
- योजना के अंतर्गत ऑन द साइज प्रशिक्षण पर अधिक ध्यान दिया जायेगा।
- इस योजना के अंतर्गत लगभग 46 लाख कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया जाना हैं इसके लिए 510.86 करोड़ रुपए का बजट निर्धारित किया गया हैं।
- प्रशिक्षण के बाद कार्य करने में ज्यादा पारदर्शिता और तेज़ी आएगी, इसका अंतिम रूप से आम आदमी को लाभ पहुंचेगा।
- योजना का कार्यान्वन पांच वर्षों 2020-21 से 2024-25 तक किया जाना हैं। इस अवधि के दौरान योजना पर होने वाले व्यय निर्धारित किये जा चुके हैं।
- योजना का संचालन प्रधानमंत्री द्वारा किया जायेगा साथ ही सभी मुख्यमंत्रियों को भी शामिल किया जायेगा।
- ऑफ साइड सीखने की क्षमता को बेहतर बनाने के लिए ऑन साइड सीखने की पद्धति को उन्नत करना हैं।
- स्कीम के अंतर्गत एक स्वामित्व वाली विशेष परियोजना वाहक कंपनी का गठन कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 8 के अंतर्गत किया गया हैं।
- जो कि iGOT कर्मयोगी प्लेटफॉर्म का स्वामित्व और प्रावधान करेगी।
- अधिकारियों के कार्य में अधिक शैली विकसित होगी।
मिशन कर्मयोगी सिविल सेवा में किये परिवर्तन
सिविल सेवा से सम्बंधित सभी अधिकारी या कर्मचारी किसी भी समय आवश्यकता और सुलभता के अनुरूप योजना के अंतर्गत शामिल हो सकते हैं। प्रशिक्षण के लिए योजना से जुड़ने के बाद ऑनलाइन प्रशिक्षण के लिए लैपटॉप, मोबाइल की सुविधा प्रदान की जायगी।
प्रशिक्षु को सभी क्षेत्रों में सदृढ़ बनने के लिए अलग-अलग विभागों के ट्रेनर को सम्मिलित किया गया हैं। मिशन कर्मयोगी योजना के अंतर्गत एक स्वामित्व वाली परियोजन वाहन कंपनी की स्थापना की जायगी। यह एक लाभविहीन संगठन होगा जो कि iGOT कर्मयोगी प्लेटफार्म का स्वामित्व और प्रबंधन करेगी।
iGOT कर्मयोगी प्लेटफार्म
- iGOT कर्मयोगी एक ऑनलाइन शिक्षण मंच हैं, जिसके द्वारा डिजिटल लर्निंग पाठ्य सामग्री उपलब्ध करवाई जायगी।
- iGOT कर्मयोगी प्लेटफार्म को एक विश्व स्तरीय बाज़ार बनाने की कोशिशे ज़ारी हैं।
- iGOT कर्मयोगी के द्वारा कर्मचारी की क्षमता निर्माण करने के लिए ई-लर्निंग संपर्क से किया जायेगा।
- इन सभी के अतिरिक्त अन्य लाभकारी सुविधाएं भी उपलब्ध करवाई जायगी।
- यह लगभग 2.0 करोड़ उपयोगकर्त्ताओ को प्रशिक्षित करने के लिए कभी भी कही भी उपकरण को सीखने की सुविधा प्रदान करेगा जो अब तक पारम्परिक उपायों से नहीं किया जा सकता था।
- सर्वोत्तम-इन-क्लास संस्थानों, विश्विद्यालयों, निजी सामग्री प्रदाताओं और व्यक्तिगत संस्थानों से सावधानीपूर्वक तैयार की गई और जांची गई सामग्री को प्रशिक्षण मॉड्यूल के रूप में प्रदान किया जायेगा।
iGOT कर्मचारी प्लेटफार्म के मुख्य बिंदु
- परिवीक्षा अवधि के बाद की पुष्टि
- तैनाती
- रिक्ति पदों की जानकारी
- कार्य निर्धारण
- अन्य सेवाएं उपलब्ध करवाना
- पाठ्य सामग्री को विभिन्न निकायों द्वारा क्यूरेट किया जा सकता हैं
मिशन कर्मयोगी योजना के अंतर्गत प्रशिक्षण
- इनोवेटिव
- प्रगतिशील
- सक्षम
- पारदर्शी
- तकनीकी रूप से सक्षम करना
मिशन कर्मयोगी योजना के अंतर्गत आने वाले कौशल
- अधिकारियों को सक्षम बनाना
- अधिकारियों को सृजनात्मक बनाना
- अधिकारियों को प्रोएक्टिव बनाना
- अधिकारियों इनोवेटिव बनाना
- अधिकारियों को तकनीकी रूप से सक्षम करना
- अधिकारियों को पारदर्शी बनाना
- अधिकारियों को ऊर्जावान बनाना
- अधिकारियों को कल्पनाशील बनाना
- अधिकारियों को प्रगतिशील बनाना
#MissionKarmayogi-National Program for Civil Services Capacity Building approved in today’s cabinet will radically improve the Human Resource management practices in the Government. It will use scale & state of the art infrastructure to augment the capacity of Civil Servants: PM pic.twitter.com/DQq9syc4F5
— ANI (@ANI) September 2, 2020
रिफ्रेशर कोर्स का भी था आईडिया
बहुत से सेवानिवृत सिविल सेवा अधिकारी भी इस सेवा में रिफ्रेशर कोर्स और वर्कशॉप के आयोजन को सही कदम बता रहे हैं। यद्यपि बहुत से स्थानों पर इस तरह के कोर्स बहुत प्रभावी साबित नहीं हो रहे हैं।
इसका कारण हैं की यह कार्य यानी परफॉरमेंस आधारित नहीं हैं। इसी तथ्य को ध्यान में रखते हुए मिशन कर्मयोगी योजना जैसी मूल्यपरक योजना को लाने की आवश्यकता होती जा रही थी।
यदि जिन उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए यह योजना शुरू की गयी हैं वे पूर्ण होते हैं तो निश्चित रूप से सिविल सेवा के अधिकारियों और कर्मचारियों की कार्यशैली में सकारात्मक परिवर्तन आएगा।
सिविल अधिकारी का कार्य उदाहरण की तरह
इस ओर जहाँ सिविल सेवा के अधिकारियों की कार्यप्रणाली में सुधार के प्रयास हो रहे हैं, वही बहुत से ऐसे अधिकारी भी हैं जो अपने कार्य से बहुत से लोगों को प्रेरणा दे रहे हैं।
एक उदाहरण के रूप में उत्तराखण्ड राज्य में देखें, जहाँ कई ज़िलों को ऐसे अधिकारी मिले हैं जिनका दूसरे स्थान पर तबादला होने पर स्थानीय जनता ने रोकने की कोशिशे की अथवा कुछ लोगों ने रोते हुए विदाई दी। परन्तु इस प्रकार के प्रकरण अपवाद स्वरूप ही देखे जाते हैं।
ज्यादातर अधिकारी जनता के उद्धार से अधिक अपने उद्धार पर ही ध्यान देते हैं। इस प्रकार के अधिकारियों का लक्ष्य जनता की सेवा ना हो कर किसी भी तरह अपनी धन संपत्ति में वृद्धि करना ही होता हैं। इस तरह के अधिकारी बार-बार कई घोटालों में पकडे जाते हैं और सम्पति का सही ब्यौरा देने में असमर्थ रहते हैं।
सिविल सेवा की प्रतिष्ठा
सिविल सेवा में जाना हमारे देश में एक प्रतिष्ठा का विषय हैं। समाज में सिविल सेवा से जुड़े परिवारों को बहुत सम्मान प्राप्त हैं। अतः बहुत से माता-पिता यह योजना बनाते हैं कि उनके बच्चे पढ़-लिखकर सिविल अधिकारी बने और उनके परिवार और बच्चों को समाज में प्रतिष्ठा मिलेगी।
इसी बात को जानते हुए बहुत से कोचिंग संस्थान उन लोगों का शोषण करते हैं। कोचिंग संस्थानों का मुख्य लक्ष्य अधिक से अधिक पैसे की उगाही करना हैं। वह पुरे कोर्स को तैयार करके उसकी फीस तय रखते हैं जिसे बच्चों के माता-पिता काफी जतन के बाद अदा कर पाते हैं।