Onion : नई तकनीक के साथ केंद्र सरकार प्याजों की बर्बादी को कम करने का प्रयास कर रही है। इस तकनीक के द्वारा वार्षिक 11 हजार करोड़ रुपये के प्याज की बर्बादी को रोका जा सकेगा, जिससे प्याजों की कीमतें न गिरेंगी और न ही उनका खराब होना होगा।
देश में प्याज की बढ़ती कीमतें, बर्बादी और सड़ने के कारण किसानों को हर साल करोड़ों रुपये का नुकसान हो रहा है। कई राज्यों में प्याज की इतनी गिरती कीमतें हैं कि उन्हें खेतों में ही छोड़ देना पड़ता है। आमतौर पर प्याज के दाम इतने बढ़ जाते हैं कि यह राजनीतिक मुद्दा बन जाता है।
इस परिस्थिति से बाहर निकलने के लिए, उपभोक्ता मंत्रालय ने एक नई तकनीक का आविष्कार किया है जिससे प्याज के दामों की निगरानी रखी जाएगी। इस नई तकनीक से प्याजों की बर्बादी रुकेगी और दामों पर भी निगरानी बनी रहेगी।
केंद्र सरकार इस नई तकनीक के माध्यम से गोदामों में प्याज की रखरखाव के साथ-साथ सड़ने की स्थिति और दामों के बारे में किसानों को समय-समय पर सूचित करेगी। इससे किसानों को बड़ी राहत मिलेगी और वे अच्छे दामों में प्याज बेच सकेंगे।
अब किसानों के खून के आंसू नहीं आएंगे-
पिछले साल खरीफ सीजन के दौरान लाल प्याज की रिकॉर्ड कीमतों के बावजूद, किसानों ने आशा जताई थी कि रबी सीजन में भी अच्छा दाम मिलेगा। हालांकि, गर्मी के प्याज और बढ़ती हुई आवक के कारण प्याजों की मांग कम हो गई और इसके परिणामस्वरूप किसानों ने नुकसान उठाया। पिछले साल प्याज पैदा करने वाले किसानों को काफी चुनौतीपूर्ण स्थिति का सामना करना पड़ा था। इस परिस्थिति के मद्देनजर, अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की सहायता से प्याज के उत्पादन से लेकर भंडारण तक सभी पहलुओं पर नजर रखी जाएगी।
केंद्र सरकार भंडारण में रखे प्याजों की बर्बादी को कम करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) तकनीक का उपयोग करेगी। इस तकनीक के माध्यम से हर साल 11 हजार करोड़ रुपये के प्याज की बर्बादी को रोका जा सकेगा। केंद्र सरकार गोदामों में रखे प्याज पर रियल-टाइम डाटा के लिए एआई आधारित सेंसर स्थापित करेगी। यह सेंसर गोदामों के विभिन्न स्थानों पर लगाए जाएंगे और एआई आधारित यह सेंसर किसानों को प्याज सूखने और सड़ने की जानकारी प्रदान करेगा। इसके माध्यम से किसानों को यह सूचित होगा कि कौन-कौन से कट्टे या बैच के प्याज सड़ रहे हैं।
एआई का इस्तेमाल देश के सरकारी और गैरसरकारी क्षेत्रों में से हो रहा है। सरकार आस्था कर रही है कि डेटा एनालिसिस के माध्यम से किसानों को सही समय पर उपयुक्त जानकारी मिलेगी, जिससे वे सही समय पर सही उपाय का चयन कर सकें। इसके लिए मिट्टी की जाँच, पानी की जाँच, और उचित बीज का चयन करने में किसानों को मदद करने के लिए एआई आधारित सेंसर इस्तेमाल किए जा रहे हैं।
- डायबिटीज: जानिए क्या है यह बीमारी? इन संकेतों को न करें अनदेखा
- दवाओं का कॉम्बो पैक! जानिए इस पहाड़ी फल के अद्भुत फायदे
- Pre-Wedding Shoot के लिए ये है सबसे बेहतरीन जगह, अपनी शादी को बनाएं यादगार
- भारत की पहली महिला डॉक्टर कौन थी ? जानिए उनकी कहानी
- बुद्धि के देवता गणेश जी को कैसे करें प्रसन्न? बुधवार को करें ये उपाय