Property Knowledge : अक्सर जब लोग घर बदलते हैं, तो वे अपनी पुरानी प्रॉपर्टी को बेच देते हैं, लेकिन प्रॉपर्टी बेचते समय कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान नहीं रखते, जिससे उन्हें भविष्य में नुकसान हो सकता है। यदि आप अपनी कोई प्रॉपर्टी बेच रहे हैं, तो हम आपको बताएंगे कि कौन-कौन सी बातें जरूरी हैं।
पिछले 1-2 वर्षों से प्रॉपर्टी मार्केट में काफी उछाल देखा गया है। चाहे मेट्रो सिटीज हों या छोटे शहर, प्रॉपर्टी के दाम इस समय बहुत बढ़ गए हैं। इसके बावजूद लोग जमकर प्रॉपर्टी खरीद और बेच रहे हैं। लेकिन बहुत बार इम्यूएबल प्रॉपर्टी जैसे घर, बंगला, फ्लैट, प्लॉट को खरीदने या बेचने में लोगों को कुछ समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं। इन समस्याओं के कारण लोगों को कई बार मानसिक और आर्थिक दुःख झेलना पड़ता है।
पुराने समय में प्रॉपर्टीज की खरीद-बिक्री आसानी से होती थी, लेकिन अब इस तरह की लेन-देन में एक विस्तृत प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। इस प्रक्रिया में जोखिमें शामिल होती हैं। इसलिए प्रॉपर्टी का लेन-देन करने से पहले आपको कुछ बातें ध्यान में रखनी चाहिए। यहां आपको बताएंगे कि ये कौन-कौन सी बातें हैं।
- सेलर प्रॉपर्टी को स्वयं या किसी एजेंट के माध्यम से बेच सकता है। एजेंट इस मामले में काफी सहायक हो सकते हैं। प्रॉपर्टी का प्रचार-प्रसार करना, ग्राहकों को खोजना, उन्हें प्रॉपर्टी दिखाना, फिर उनसे बातचीत करना, और अन्त में लेन-देन करना, इस सभी में काफी समय और विशेषज्ञता की आवश्यकता होती है।
- आज के दौर में रियल एस्टेट की कई वेबसाइट्स हैं, जहां से प्रॉपर्टी बेची या खरीदी जा सकती है। इस प्रकार की वेबसाइटें अब ग्राहकों को प्रॉपर्टी की खोज में मदद करने का आदान-प्रदान करती हैं, और उन्हें इसके लिए अपनी मेहनत करने की जरूरत नहीं होती। हां, इस बात का सुनिश्चित होना चाहिए कि बेची जाने वाली प्रॉपर्टी पर सेलर की आपूर्तिकर्ता होनी चाहिए।
- सेलर को इस बारे में स्पष्ट जानकारी होनी चाहिए कि बेची जाने वाली प्रॉपर्टी कब से सेलर के कब्जे में है, और पहले उसका ओनरशिप सेलर के पास होना चाहिए। इस तथ्य को सबरजिस्ट्रार के कार्यालय से प्राप्त किया जा सकता है। संबंधित प्रॉपर्टी पर किसी और का कोई अधिकार या दावा नहीं होना चाहिए।
- सेल वैल्यू और प्रॉपर्टी का पीरियड निर्धारित करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। सेल के लेन-देन में, सेलर को प्रॉपर्टी के राइट्स को खरीदार को ट्रांसफर करने के लिए कदम उठाने होते हैं। इस क्रिया के लिए, एक सेल डीड तैयार किया जाता है और इसे रजिस्टर करना भी आवश्यक होता है। यह रजिस्ट्रेशन भारत के विभिन्न राज्यों में विभिन्न तरीकों से होता है।
- प्रॉपर्टी के संबंध में एक एग्रीमेंट मुख्य रूप से खरीदार और प्राइवेट सेलर के बीच होता है। इस एग्रीमेंट में यह उल्लेख होता है कि जब तक खरीदार पूरी राशि का पेमेंट नहीं करता, तब तक प्रॉपर्टी का कब्जा सेलर के पास रहेगा।
- इस सेल डीड में ओनरशिप की ट्रांसफर, पेमेंट के तरीके, पैसे के आदान-प्रदान, स्टांप ड्यूटी, मिडलमैन आदि का विस्तार से उल्लेख है। इन सभी बातों को ठीक से समझ लेना चाहिए। यह भी महत्वपूर्ण है कि क्या प्रॉपर्टी पर कोई लैंड एग्रीमेंट है या नहीं।
- प्रॉपर्टी के लेन-देन के दौरान यह भी स्पष्ट किया जाना चाहिए कि पेमेंट मासिक आधार पर किया जाना है या एकसाथ। साथ ही, किसी भी प्रकार के एग्रीमेंट में दोनों पक्षों की सहमति लिखित तौर पर जरूरी होती है। इसलिए प्रॉपर्टी की खरीदारी करने के दौरान आप इस बात पर विशेष ध्यान दें।
- लेन-देन को पूरा करने के लिए एक समय सीमा तय करें और उस समय सीमा के भीतर ही प्रॉपर्टी से संबंधित लेनदेन का निपटारा करें। प्रॉपर्टी बेचने के लिए हाउसिंग सोसाइटी से परमिशन या नो-ऑबजेक्शन सर्टिफिकेट लेने में ही समझदारी है। इनकम टैक्स विभाग, सिटी लैंड सीलिंग ट्रीब्यूनल या नगरपालिका से अनुमति ले लें।
- प्रॉपर्टी खरीदने से पहले खरीदार को सबरजिस्ट्रार के ऑफिस से एक सर्टिफिकेट (कम से कम 15 दिन पहले) प्राप्त करना चाहिए कि प्रॉपर्टी किसी भी तरीके के लोन या लोन के सभी मामलों से मुक्त है। इससे इस बात की जानकारी मिलती है कि प्रॉपर्टी पर कर्ज है या नहीं और अगर है तो वह कितना है। इस सर्टिफिकेट के लिए चार्ज देना होगा। यह सर्टिफिकेट सेलर के लिए भी अच्छा है।
- यदि संबंधित प्रॉपर्टी पर कोई कर्ज है, तो खरीदार यह मान लेगा कि विक्रेता सभी पे किए जाने वाले लोन, टैक्स और चार्जेस (यदि कोई हो) का भुगतान करेगा। इस मुद्दे को पहले ही सुलझा लें और एग्रीमेंट में भी इसका जरूर उल्लेख करें। एक्सपर्ट कहते हैं कि ये सभी काम लेन-देन पूरा होने से पहले कर लें, क्योंकि इन छोटी-छोटी बातों में से एक भी कानूनी विवाद का कारण बन सकती है। प्रॉपर्टी की डील करते समय एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर करना न भूलें। साथ ही प्रॉपर्टी के लेन-देन का रजिस्टर कराना न भूलें।
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