Property Rights: तलाक के बाद बहू अपने पति के अलावा सास-ससुर से भी गुजारा भत्ता मांग सकती है। यह अधिकार उन्हें हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 25 के तहत मिलता है। इस धारा के अनुसार, यदि पति तलाक के बाद अपनी पत्नी का गुजारा भत्ता देने में असमर्थ है तो वह अपने सास-ससुर से गुजारा भत्ता मांग सकती है।

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हाईकोर्ट का फैसला
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा है कि आश्रित कोटे से जुड़े मामलों में घर की बहू का बेटी से ज्यादा अधिकार है। एक याचिका में एक महिला को सस्ते गल्ले की दुकान का लाइसेंस देने से इनकार कर दिया गया था क्योंकि वह परिवार की बहू थी, बेटी नहीं।
हाईकोर्ट ने कहा कि यह भेदभावपूर्ण है और परिवार में बेटी से ज्यादा बहू का अधिकार है। अदालत ने यह भी कहा कि सरकार का 5 अगस्त, 2019 का आदेश, जो बेटी को परिवार में शामिल करता है और बहू को बाहर करता है, विधि विरुद्ध है और इसे बदल दिया जाना चाहिए।
फैसले पर हाईकोर्ट का तर्क
हाईकोर्ट ने कहा है कि उत्तर प्रदेश आवश्यक वस्तु (वितरण के विनियम का नियंत्रण) आदेश 2016 में बहू को परिवार की श्रेणी में नहीं रखा गया है यह सच है लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि बहू को उसके अधिकारों से वंचित किया जा सकता है। हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि परिवार में बहू का अधिकार बेटी से ज्यादा है। बहू चाहे विधवा हो या न हो, वह भी बेटी (तलाकशुदा या विधवा भी) की तरह ही परिवार का हिस्सा है।
दामाद का ससुर की प्रॉपर्टी पर अधिकार
कानून के अनुसार, दामाद को ससुराल की संपत्ति में कोई हिस्सा नहीं मिलता है। यह नियम तब भी लागू होता है जब दामाद ने ससुराल की संपत्ति में योगदान दिया हो। पटियाला हाउस कोर्ट के वकील महमूद आलम का कहना है कि कानून के अनुसार दामाद को ससुराल की संपत्ति में कोई हिस्सा नहीं मिलता है।
उन्होंने यह भी कहा कि यदि पत्नी के नाम से कोई संपत्ति है और उसकी मृत्यु के बाद कोई उत्तराधिकारी नहीं है तो दामाद केवल तभी उस संपत्ति का दावा कर सकता है जब उन दोनों के बच्चे हों।
विधवा का अधिकार
हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 के अनुसार, यदि किसी कारण से पति की मृत्यु हो जाती है, तो उसकी पत्नी निम्नलिखित संपत्तियों पर अधिकार प्राप्त कर सकती है-
- पति से प्राप्त संपत्ति
- पति के परिवार से प्राप्त संपत्ति
- विधवा अपनी कमाई से अर्जित संपत्ति का पूर्ण स्वामित्व रखती है।
- विधवा को अपनी मायके से प्राप्त संपत्ति का भी पूर्ण स्वामित्व प्राप्त होता है।
बहुओं के अधिकार जरुरी
अनुच्छेद 15 के अनुसार, महिलाओं के अधिकारों की रक्षा और समर्थन के लिए कानून बनाए जा सकते हैं। यह अनुच्छेद समाज में लैंगिक समानता और महिलाओं के प्रति न्याय के विचार को मजबूती प्रदान करता है। वकील महमूद आलम का कहना है कि कानून ने बहुओं को कई तरह के अधिकार दिए हैं लेकिन इन अधिकारों के बारे में जागरूकता की कमी है।
तलाक के बाद बहू को गुजारा भत्ता
यह सच है कि तलाक के बाद बहू, यदि वह अपना खर्च नहीं चला पा रही है, तो अपने सास-ससुर से गुजारा भत्ता मांग सकती है। यह अधिकार उसे हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 25 के तहत मिलता है। यदि पति तलाक के बाद अपनी पत्नी का भरण-पोषण नहीं कर पा रहा है, तो पत्नी अपने सास-ससुर से गुजारा भत्ता मांग सकती है।
दामाद पर घरेलु हिंसा का कानून नहीं
घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, 2005 (डोमेस्टिक वायलेंस एक्ट) केवल महिलाओं और बहुओं को ही घरेलू हिंसा से सुरक्षा प्रदान करता है। आईपीसी में चोट पहुंचाने, मारपीट, अपहरण, और हत्या जैसे अपराधों के लिए दंड का प्रावधान है। हालाँकि इसमें दामाद के लिए कोई समान कानून नहीं है।
यह फैसला महिलाओं के अधिकारों की दिशा में एक सकारात्मक कदम है। यह समाज में महिलाओं की स्थिति को बेहतर बनाने में मदद करेगा।
टॉपिक: Property Rights, ससुर की संपत्ति, संपत्ति पर अधिकार
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