पीएम मोदी की सलाह : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तराखंड में ‘वेडिंग इन उत्तराखंड’ की पहल को बढ़ावा देना शुरू किया है। श्री बद्रीनाथ केदारनाथ टेंपल कमेटी (BKTC) ने इस पर ध्यान दिया है। अब धार्मिक स्थलों को वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है, जो भगवान से संबंधित हैं। केदारनाथ धाम में शिव-पार्वती के विवाह स्थल, शीतकालीन गद्दी स्थल, उषा-अनिरुद्ध के विवाह स्थल, और ओंकारेश्वर मंदिर जैसे कई ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों को वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में विकसित किया जा रहा है।
श्री बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति अब ओंकारेश्वर मंदिर को वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में विकसित कर रही है। यह मंदिर उखीमठ में स्थित है और शिव भक्त बाणासुर की बेटी उषा और भगवान कृष्ण के पौत्र अनिरुद्ध का विवाह स्थल है। इस लिए, शांतिकुंज हरिद्वार की तर्ज पर वैवाहिक नियमावली बनाई गई है।
क्या शिव-पार्वती ने फेरे लिए थे?
इवेंट मैनेजमेंट एक्सपर्ट निशांत वर्मा के अनुसार, त्रियुगी नारायण मंदिर के बारे में माना जाता है कि यहां भगवान विष्णु ने ही शिव-पार्वती का विवाह करवाया था। यहां का शिव-पार्वती विवाह स्थल सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है। बहुत समय पहले शिव-पार्वती ने यहां पर विवाह किया था, और उस समय एक अग्निकुंड जल रहा था, जो आज भी जल रहा है और उसे शिव-पार्वती के फेरे की अग्नि माना जाता है। यहां आने वाले भक्त लकड़ियों को अर्पित करते हैं और मंदिर से अखंड धुनी की राख को प्रसाद के रूप में अपने घर ले जाते हैं।
पहाड़ों की रमणीय परंपरा
पहाड़ों के ये प्राचीन स्थल अब वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में पसंद किए जा रहे हैं। यहां शादियां अब उत्तराखंड की पारंपरिक रीति-रिवाज के अनुसार मनाई जाएंगी। स्थानीय महिलाएं शादी में मंगल गीत गाने, मंगल स्थान करने और पारंपरिक पहाड़ी व्यंजन बनाने का प्रशिक्षण ले रही हैं। शादी के लिए मंदिर समिति के पास ही रजिस्ट्रेशन कराना होगा।
प्रधानमंत्री मोदी ने दी थी सलाह
पिछले साल दिसंबर में देहरादून में उत्तराखंड ग्लोबल इन्वेस्टर समिट के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तराखंड को वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में विकसित करने का सुझाव दिया था। इसके बाद मंदिर समिति ने अपने अधीन आने वाले मंदिरों में इसकी शुरुआत कर दी है। सबसे पहले शिव-पार्वती के विवाह स्थल त्रियुगीनारायण की तर्ज पर ही उषा- अनिरुद्ध के विवाह स्थल को वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में विकसित किया जा रहा है।
शादी के लिए रजिस्ट्रेशन शुरू
मान्यताओं के अनुसार, उषा-अनिरुद्ध ने ओंकारेश्वर मंदिर में सात फेरे लिए थे। इसका प्रमाण मंदिर के पास वह विवाह मंडप है, जिसमें उन्होंने सात फेरे लिए थे। इन दोनों स्थानों पर विभाग के लिए मंदिर समिति ने विधिवत रजिस्ट्रेशन शुरू कर दिए हैं। मंदिर समिति सभी पौराणिक मंदिरों को वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में विकसित करने की योजना बना रही है।
प्रिय दुल्हन और दुल्हे, अब मंदिरों में आपका स्वागत है: विवाह के लिए सभी मंदिर एक खास जगह।
मंदिर समिति के अध्यक्ष अजय अजेंद्र ने बताया कि शांतिकुंज हरिद्वार की तर्ज पर वैवाहिक नियमावली बनाई गई है। ओंकारेश्वर मंदिर में 5 करोड़ रुपये की लागत से विस्तारीकरण और सौंदर्यीकरण किया जा रहा है। उषा अनिरुद्ध के विवाह मंडप को भी विकसित किया जा रहा है, जो प्रेम के प्रतीक माने जाते हैं। उन्होंने बताया कि पहले चरण में ओंकारेश्वर मंदिर परिसर में टेंपल प्लाजा, एडमिन बिल्डिंग, और वर्तमान प्रशासनिक भवन का विकास किया जाएगा। उसके बाद दूसरे फेज़ में मंदिर के कोठा भवन, उषा अनिरुद्ध विवाह मंडप का काम शुरू किया जाएगा।
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