Tax Saving Tips: जब आपकी सैलरी पर टैक्स लगता है, तो कंपनी इसे काट लेती है। यहां एक नियम है कि टैक्स कटौती केवल आयकर विभाग द्वारा ही नहीं, बल्कि कंपनी द्वारा भी की जाती है। अंतिम आयकर कैलकुलेशन आयकर रिटर्न फाइल करने के बाद होता है, जब आयकर विभाग आपकी आय को देखता है और आपके द्वारा जमा किए गए आयकर बचत को लेकर निर्णय लेता है। जब आप निवेश के लिए अपने कंपनी के साथ काम करते हैं, तो आपकी कंपनी निवेश संबंधित दस्तावेज़ मांगती है।
इन दस्तावेजों के आधार पर कंपनी आपकी आय का कैलकुलेशन करती है। फिर, अप्रैल से मार्च के लिए आयकर कटौती की जाती है। यदि आपकी सैलरी पर टैक्स बनता है, तो कंपनी इसे काट लेती है। यहां एक नियम है कि टैक्स कटौती केवल आयकर विभाग द्वारा ही नहीं, बल्कि कंपनी द्वारा भी की जाती है। अंतिम आयकर कैलकुलेशन आयकर रिटर्न फाइल करने के बाद होता है, जब आयकर विभाग आपकी आय को देखता है और आपके द्वारा जमा किए गए आयकर बचत को लेकर निर्णय लेता है।
कम से कम इनकम टैक्स कैसे दे?
हर रोजगारीप्राप्त व्यक्ति को यह उत्पन्न होता है कि वह आयकर से कैसे बचे या कम से कम इनकम टैक्स कैसे दे? यदि आपने पुराने आयकर नियमों को चुना है, तो यह सवाल आपके लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होगा। आयकर अधिनियम की धारा 87A के तहत, 12,500 रुपये तक की टैक्स छूट मिलती है। पुराने आयकर नियमों के अनुसार, निवेश के लिए विभिन्न विकल्प होते हैं। अगर आपकी सैलरी 12 लाख रुपये है, तो भी आपको कोई भी इनकम टैक्स नहीं देना पड़ेगा।
टैक्स बचाने के लिए प्लानिंग जरूरी
चार्टर्ड अकाउंटेंट आशीष मिश्रा कहते हैं कि इनकम टैक्स बचाने के लिए आपको सही से सेविंग्स की प्लानिंग करने की जरूरत है। इसके लिए आप किसी भी एक्सपर्ट से सलाह ले सकते हैं। यदि कंपनी ने आपका टैक्स काट लिया है तो आप आईटीआर फाइल करके कटे हुए पैसे को वापस पा सकते हैं। 12 लाख सैलरी पर आप ओल्ड टैक्स रेजीम के तहत 30 प्रतिशत टैक्स के दायरे में आते हैं। इस सैलरी पर आपके लिए ओल्ड टैक्स रेजीम का चयन करना बेहतर रहेगा। देखिए पूरी कैलकुलेशन…
ये है पूरा गणित
- हर कंपनी अपने कर्मचारियों को सैलरी को दो हिस्सों में देती है, जिसे आमतौर पर पार्ट-A और पार्ट-B कहा जाता है। इसमें पहले हिस्से में आपकी सैलरी का एक निश्चित हिस्सा आता है, जबकि दूसरे हिस्से में अतिरिक्त भत्तों और अन्य लाभों को शामिल किया जाता है। आमतौर पर, 12 लाख की सैलरी पर तीन लाख रुपये पार्ट-B में रखे जाते हैं, जिससे आपकी कर लागत कम हो जाती है।
- आपको सबसे पहले वित्त मंत्रालय की ओर से दिए जाने वाले 50,000 रुपये को कम करने की सलाह दी जाती है। इसे कम करने के बाद, आपकी कर लागत 8.50 लाख रुपये रह जाती है।
- आप 80C के तहत 1.5 लाख रुपये तक की सेविंग का दावा कर सकते हैं। इसमें ट्यूशन फीस, एलाईसी, पीपीएफ, म्यूचुअल फंड, ईपीएफ या होम लोन के प्रिंसिपल राशि शामिल हो सकती है। इससे आपकी कर लागत 7 लाख रुपये रह जाती है।
- आपको होम लोन के ब्याज पर दो लाख रुपये की छूट मिलती है। इसे कम करने के बाद, आपकी कर लागत 5 लाख रुपये रह जाती है। पांच लाख रुपये की इनकम पर 12,500 रुपये का कर बनता है, लेकिन आयकर विभाग इसमें छूट प्रदान करता है।
टैक्स सेविंग के और भी विकल्प
यदि आपकी सैलरी अधिक है, तो आपको अपनी कर लागत को शून्य (0) करने के लिए निवेश करना होगा। 80CCD (1B) के तहत एनपीएस (NPS) में 50,000 रुपये का निवेश करना होगा। साथ ही, सेक्शन 80D के अंतर्गत बच्चों, पत्नी और माता-पिता के स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम का दावा कर सकते हैं। बच्चों और पत्नी के लिए तकनीकी रूप से 25,000 रुपये और माता-पिता के लिए 25,000 रुपये का प्रीमियम दावा किया जा सकता है। यदि आपके माता-पिता वरिष्ठ नागरिक हैं, तो आप प्रीमियम के रूप में 50,000 रुपये तक का दावा कर सकते हैं।
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