Tilswan Mahadev Temple: राजस्थान के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक, तिलस्वां महादेव मंदिर, भीलवाड़ा जिले में स्थित है। यहां के महादेव मंदिर को उनकी अनूठी मान्यताओं और विशेषताओं के लिए प्रसिद्ध है।
इस मंदिर में भगवान शिव का शिवलिंग तिल के अनुपम आकार में है। इस शिवलिंग की विशेषता है कि यह प्राकृतिक रूप से बना है और इसकी बनावट तिल के बीज जैसी है।
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राजस्थान का अनोखा शिवालय
भीलवाड़ा जिले में मौजूद तिलस्वां महादेव मंदिर राजस्थान के प्रमुख शिवालयों में आता है। ये मंदिर अपनी अनोखी मान्यता और विशेषता को लेकर काफी प्रसिद्ध है। यहां भगवान शिव का शिवलिंग तिल के समान है। यह शिवलिंग प्राकृतिक रूप से बना हुआ है और इसकी बनावट तिल के दाने जैसी है।
शिवलिंग के साथ ही भगवान शिव की प्रतिमा भी एक ही जगह पर विराजमान है। यहां पर स्थित कुंड में स्नान करने से भक्तों के चर्म रोग दूर हो जाते हैं। इस वजह से यहां पर पूरे साल भर भक्तों का आना-जाना रहता है। महाशिवरात्रि के पर्व पर यहां भक्तों का तांता लगा रहता है।
तिलस्वां महादेव मंदिर का अतीत
तिलस्वां महादेव मंदिर के पुजारी घनश्याम पाराशर ने बताया कि तिलस्वां महादेव का प्राचीन इतिहास है। इस मंदिर की स्थापना 2024 वर्ष पूर्व राजा हवन ने की थी। मंदिर का निर्माण 10वीं से 12वीं सदी के बीच हुआ था। तिलस्वां महादेव मंदिर, बिजोलिया क्षेत्र में 12 मंदाकिनीय मंदिरों में से एक है।
यहां की मुख्य मंदाकिनी के नाम से शिव मंदिर प्रसिद्ध है। मंदिर में कुष्ठ रोग जैसी बीमारी से पीड़ित भक्तों की पीड़ा को हरने की शक्ति है और यहां की सेवा-पूजा का कार्य पाराशर परिवार द्वारा अद्वितीय रूप से 16 पीढ़ियों से किया जा रहा है।
तिल के समान शिवलिंग का महत्व
भीलवाड़ा जिले में स्थित तिलस्वां महादेव मंदिर अपनी अद्भुत विशेषताओं के लिए जाना जाता है। यहां का मुख्य आकर्षण भगवान शिव का स्वयंभू शिवलिंग है जो एक तिल के समान है। मान्यता है कि मेनाल के राजा हवन को कुष्ठ रोग हो गया था।
एक सिद्ध योगी ने उन्हें बिजौलियां के मन्दाकिनी महादेव के कुंड का स्नान लेने की सलाह दी। ऐसे करने से राजा हवन का कुष्ठ रोग तो ठीक हो गया लेकिन शरीर पर तिल जैसे निशान रह गए। तभी से इस स्थान को “तिलस्वां” के नाम से जाना जाता है।
कुंड का स्नान देगा चर्म रोग से मुक्ति
तिलस्वां महादेव मंदिर न केवल अपनी अनोखी शिवलिंग के लिए जाना जाता है, बल्कि चर्म रोग से मुक्ति का वरदान देने के लिए भी प्रसिद्ध है। मंदिर पुजारी घनश्याम के अनुसार, मंदिर परिसर में बने कुंड में स्नान करने और यहां की मिट्टी का लेप करने से चर्म रोग दूर हो जाता है।
तिलस्वां महादेव मंदिर की कुछ विशेषताएं
- यह मंदिर अरावली पर्वत श्रृंखला के बीच स्थित है।
- इसका निर्माण 8वीं शताब्दी में हुआ था।
- यहाँ भगवान शिव के अलावा भगवान गणेश, हनुमान और अन्य देवी-देवताओं की भी प्रतिमाएं हैं।
- मंदिर के आसपास एक सुंदर बगीचा है।
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