Shantanu Thakur on Citizen Amendment Act: केंद्रीय मंत्री शांतनु ठाकुर का यह बयान काफी महत्वपूर्ण है। इससे यह संकेत मिलता है कि केंद्र सरकार सीएए को लेकर काफी गंभीर है और इसे जल्द से जल्द लागू करने के लिए पूरी कोशिश कर रही है।
शांतनु ठाकुर के बयान पर पश्चिम बंगाल में राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी आनी शुरू हो गई हैं। तृणमूल कांग्रेस ने इस बयान को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। टीएमसी ने कहा है कि सीएए एक सांप्रदायिक कानून है और इसे देश में लागू नहीं किया जाना चाहिए।
शांतनु ठाकुर का बयान यह था
केंद्रीय मंत्री शांतनु ठाकुर का यह आरोप काफी गंभीर है। अगर यह सच है कि मतुआ समुदाय के लोगों को मताधिकार से वंचित किया जा रहा है तो यह लोकतंत्र के लिए एक बड़ी चुनौती है।
मतुआ समुदाय बंगाल का एक बड़ा अल्पसंख्यक समुदाय है। यह समुदाय मुख्य रूप से हिंदू धर्म का पालन करता है। मतुआ समुदाय के लोगों का कहना है कि उन्हें मताधिकार से वंचित किया जा रहा है क्योंकि वे बीजेपी का समर्थन करते हैं।
यह देखना होगा कि केंद्रीय मंत्री (Shantanu Thakur) का बयान कितना हकीकत में बदलता है। अगर सरकार CAA को अगले 7 दिनों में लागू करने में सफल हो जाती है तो यह एक बड़ी राजनीतिक जीत होगी। हालांकि अगर सरकार इस लक्ष्य को हासिल नहीं कर पाती है तो यह उसके लिए एक बड़ी राजनीतिक चुनौती होगी।
अमित शाह बड़ी बात कह चुके है
केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने दिसंबर 2023 में पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में एक रैली को संबोधित करते हुए सीएए को लेकर एक बड़ा बयान दिया था।
उन्होंने (Amit Shah) कहा था कि सीएए को लागू करने से कोई नहीं रोक सकता है। शाह ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर इस मुद्दे पर लोगों को गुमराह करने का आरोप भी लगाया था।
साल 2019 में CAA पारित हुआ था
दिसंबर 2019 में संसद में नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) को पारित किया गया था। इस कानून के मुताबिक बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए प्रताड़ित गैर मुस्लिमों (हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई) को भारत की नागरिकता दी जाएगी।
इस कानून के पारित होने के बाद देशभर में इसके विरोध में प्रदर्शन हुए। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि यह कानून मुस्लिमों के खिलाफ भेदभावपूर्ण है। उन्होंने कहा कि यह कानून अल्पसंख्यकों को खतरा पैदा करेगा।
सीएए के लागू होने के संभावित परिणाम
- सांप्रदायिक तनाव: सीएए के लागू होने से देश में सांप्रदायिक तनाव बढ़ सकता है। इस कानून का विरोध करने वाले लोग सड़कों पर उतर सकते हैं और विरोध प्रदर्शन कर सकते हैं।
- राजनीतिक असंतोष: सीएए के लागू होने से देश में राजनीतिक असंतोष बढ़ सकता है। विपक्षी दल सरकार पर दबाव बना सकते हैं और इस कानून को वापस लेने की मांग कर सकते हैं।
- अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि खराब होना: सीएए के लागू होने से भारत की छवि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खराब हो सकती है। कई देशों ने इस कानून की आलोचना की है और भारत से इसे वापस लेने की मांग की है।
यह देखना होगा कि सीएए के लागू होने से देश पर क्या प्रभाव पड़ता है
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