किसी भी देश की सीमाओं के भीतर एक समय अवधि (आमतौर पर यह 1 वर्ष होता है) में उत्पादित सभी अंतिम वस्तुओं और सेवाओं के मौद्रिक मूल्य को सकल घरेलू उत्पाद (GDP) कहते हैं।
यह किसी भी देश की आर्थिक गतिविधियों का एक व्यापक माप है। जीडीपी किसी भी देश का एक स्नैपशॉट देती है जिससे अर्थव्यवस्था के आकर तथा वृद्धि दर का अनुमान लगाया जाता है।
सामान्यतः हम जीडीपी को तीन प्रकार से गणना करते हैं व्यय, उत्पादन तथा उपयोग। जीडीपी की गणना आमतौर पर 1 वर्ष में की जाती है लेकिन कभी कभी यह गणना त्रैमासिक के आधार पर भी की जाती है।
आज हम आपको अपने आर्टिकल के माध्यम से आपको बताएंगे की सकल घरेलू उत्पाद (GDP) क्या है? तथा किसी भी देश के लिए सकल घरेलू उत्पाद (GDP) क्यों जरुरी है?
जीडीपी से जुडी हुई जानकारी आपके लिए परीक्षाओं के लिए भी उपयोगी होगी तथा करंट अफेयर्स के लिए भी उपयोगी होगी। इसलिए जीडीपी के बारे में सम्पूर्ण जानकारी जानने के लिए आज हमारे आर्टिकल को पूरा पढ़ें।
जीडीपी के साथ साथ क्या आपको जीएसटी के बारे में भी पता है अगर नहीं तो आपको हमारे दूसरे आर्टिकल को भी पढ़ना चाहिए। इसमें आपको जीएसटी के बारे में सभी जानकारी आपको मिल जाएगी।
जीडीपी (GDP) क्या होता है ?
जीडीपी किसी भी देश के अर्थव्यवस्था के आर्थिक प्रदर्शन का एक प्रकार का बुनियादी माप है। जीडीपी को हम इन चार बातो से आसानी से समझ सकते हैं।
- भारतीयों के द्वारा अपने निजी उपभोग के लिए खर्च किया गया सारा पैसा।
- गवर्नमेंट द्वारा अपने वर्तमान उपभोग पर खर्च किया गया सारा पैसा जैसे की वेतन।
- अर्थव्यवस्था को बढ़ाने के लिए निवेश किया गया सारा पैसा।
- निर्यात तथा आयत (विदेशियों के द्वारा हमारी वस्तुओं को खरीदने में जो खर्च किया गया तथा हमारे द्वारा विदेशी वस्तुओं पर जो खर्च किया गया)
इस चार बिंदुओं से हम आसानी से अर्थव्यवस्था को समझ सकते हैं। जब जीडीपी बढ़ती है तो देश की अर्थव्यवस्था भी बढ़ती है और जब जीडीपी घटती है तो देश की जीडीपी भी घटती है। सकल घरेलू उत्पाद (GDP) को केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय के द्वारा मापा जाता है।
सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का मापन
GDP = निजी खपत + कुल निवेश + सरकार द्वारा निवेश + सरकार द्वारा खर्च + (आयत-निर्यात)
जीडीपी = उपभोग + निवेश + सरकारी व्यय + (शुद्ध निर्यात)
Y = C + I + G + (X – M)
उपभोग :- अर्थव्यवस्था में निजी उपभोग है। उपभोग में अधिकांश घरेलू व्यय जैसे भोजन, किराया, चिकित्सा इत्यादि व्यय शामिल हैं।
निवेश :- निवेश को व्यवसाय तथा घरेलू कार्यों हेतु पूंजी के रूप में निवेश के तौर पर देखा जा सकता है। जैसे की किसी मशीनरी उपकरण को खरीदना, सॉफ्टवेयर को खरीदना, एक घर के द्वारा दूसरे आवास पर व्यय करना भी निवेश में शामिल है।
अगर धन को माल तथा सेवाओं पर व्यय किया जाता है तो उसे निवेश कहते हैं लेकिन अगर आप बोंड अथवा शेयर को ख़रीदते हैं तो यह निवेश में नहीं आता है।
सरकारी व्यय :- सरकार के द्वारा जो भी व्यय वेतन, सेना के लिए हथियारों को खरीदने तथा अन्य सरकारी कामो में जो भी निवेश किया जाता है उसे सरकारी व्यय कहते हैं।
निर्यात :- जब एक देश कुछ माल या सेवाओं का उत्पादन करता है तथा दूसरे देश के द्वारा उस सामान को ख़रीदा जाता है तो उसे निर्यात कहा जाता है।
आयत :- जब किसी दूसरे देश के द्वारा उत्पादित माल या सेवाओं को हमारे द्वारा ख़रीदा जाता है तो उसे आयत कहते हैं।
जीडीपी के प्रकार
GDP मुख्यतः दो प्रकार की होती है वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद तथा अवास्तविक सकल घरेलू उत्पाद। क्योंकि हर वर्ष उत्पादों के मूल्यों में कभी कमी होती है तथा कभी बढ़ोतरी होती है।
इसके तहत फिर उत्पादों के मूल्य एक वर्ष में उत्पादों की कीमतों के आधार पर निर्धारित किया जाता है तथा दूसरा वस्तुओं के चल रहे मूल्य पर तय किया जाता है।
वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (Real Gross Domestic Products) :- वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद में एक ही वर्ष के उत्पादों की कीमतों का पता लगा कर आगे के कई वर्षो के उत्पादों की मात्रा का पता लगाया जाता है तथा प्रत्येक वर्ष उत्पादों के मूल्यों एवं मात्राओं के परिवर्तन को दिखाया जाता है। वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद से देश की आर्थिक अर्थव्यवस्था का सही अंदाजा लगया जा सकता है।
अवास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (Unrealistic Gross Domestic Products) :- अवास्तविक सकल घरेलू उत्पाद में देश की जीडीपी को वर्तमान उत्पादों के मूल्य के आधार पर निकला जाता है।
(GDP) का कॉन्सेप्ट सबसे पहले कब आया
अंग्रेजो तथा डच के बिच वर्ष 1654 तथा 1674 में चले अनुचित टैक्स को लेकर हुई लड़ाई को देखते हुई सबसे पहले जमींदारों की आलोचना करते हुए विलियम पेट्टी ने जीडीपी शब्द को पेश किया था।
लेकिन आधुनिक जीडीपी को सबसे पहले अमेरिकी कांग्रेस रिपोर्ट के लिए सिमोन कुनजेट ने 1934 में पेश किया था। ब्रिटेन में हुए वुड्स सम्मेलन के बाद सभी देशो ने अर्थव्यवस्था को नापने के लिए जीडीपी का इस्तेमाल करने लग गए।
जीडीपी की गणना किस प्रकार होती है ?
अंतरराष्ट्रीय मानक बुक सिस्टम ऑफ़ नेशनल एकाउंट्स (1993) में जीडीपी को नापने के लिए तय किया गया था, जिसे SNA93 कहा जाता है।
इसे यूरोपीय संघ, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन, वर्ल्ड बैंक तथा संयुक्त राष्ट्र के प्रतिनिधियों के द्वारा तैयार किया गया है।
भारत में जीडीपी की गणना हर तिमाही में होती है, भारत में उद्योग, कृषि तथा सेवा तीन अहम हिस्से हैं जिसके आधार पर जीडीपी को निर्धारित किया जाता है।
इसके साथ ही कुल निर्यात में में कुल आयत को घटा जाता है जो भी आंकड़े आते हैं उन्हें खर्च में जोड़ दिया जाता है जो अंत में बचता है वही भारत की जीडीपी है।
प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद (GDP per capita)
प्रति व्यक्ति जीडीपी किसी भी देश के जनसंख्या के अंदर प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद का एक संकेतक है। यह किसी भी देश के अर्थव्यवस्था में प्रति व्यक्ति आय की मात्रा है जो किसी विशेष अर्थव्यवस्था में औसत जीवन स्तर को इंगित करता है।
Gross Domestic Product (purchasing power parity) PPP
पीपीपी एक बहुत ही लोकप्रिय तकनीक है जिससे जिससे विभिन्न देशो की मुद्राओं की तुलना करने के लिए किया जाता है। यह अर्थशास्त्रियों को किसी भी दो देशो के बीच आर्थिक उत्पादकता तथा जीवन स्तर की तुलना करने की अनुमति प्रदान करता है। इसके बावजूद भी की पीपीपी जीडीपी का प्रत्यक्ष मैप नहीं है।
सकल घरेलू उत्पाद (GDP) से जुड़े कुछ (FAQ)
सकल घरेलू उत्पाद (GDP) क्या है ?
भारत वर्तमान में जीडीपी के तहत कितने नंबर का देश है ?
वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद क्या है ?
प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद क्या है ?