भारत में सामान नागरिक संहिता– समान नागरिकता संहिता जिसे भारत में यूनिफॉर्म सिविल कोड के नाम से भी जाना जाता है। Uniform Civil Code का अर्थ है की भारत में रहने वाले सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून, चाहे वह व्यक्ति किसी भी समुदाय या जाति से संबंधित क्यों ना हो।
समान नागरिक संहिता में जमीन जायदाद से लेकर शादी, तलाक से संबंधी सभी जाति धर्मों में समान रूप से कानून लागू होगा। यूनिफार्म सिविल कोड (Uniform Civil Code) का मतलब एक निष्पक्ष कानून है जिसका किसी भी समुदाय से कोई संबंध नहीं होता है।
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आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से भारत में सामान नागरिक संहिता (यूनिफार्म सिविल कोड) क्या है What is Uniform Civil Code in India in hindi संबंधित जानकारी को साझा करने जा रहे है। UCC से संबंधी महत्वपूर्ण जानकारी के लिए आप हमारे इस आर्टिकल को अंत तक पढ़े।
भारत में सामान नागरिक संहिता
यूनिफार्म सिविल कोड– एक पथनिरपेक्ष कानून है जो सभी धर्मों के लिए समान रूप से लागू होता है। Uniform Civil Code लागू होने से सभी धर्मों में एक समान रूप से कानून लागू हो जायेगा ,और आज के समय में यह बहुत आवश्यक भी है। इस कानून के लागू होने से मुस्लिम समुदाय के तीन तलाक से संबंधी परंपरा भी पूर्ण तरीके से खत्म हो जाएगी।
वर्तमान समय में सभी समुदाय के लोग अपने मामलों का समझौता करने के लिए अपने धर्म के पर्सनल लॉ का सहारा लेते है। मौजूदा समय में मुस्लिम, पारसी, समुदाय का पर्सनल लॉ है, जबकि हिन्दू सिविल लॉ के अंतर्गत हिन्दू, बौद्ध, सिख, जैन आते है।
Uniform Civil Code (भारत में सामान नागरिक संहिता)
समान नागरिक संहिता UCC का अर्थ एक पंथनिरपेक्ष (सेक्युलर) कानून है जो सभी धर्म संप्रदाय के लिए समान रूप से लागू होता है। यदि इसका अर्थ आपको सरल भाषा में समझाया जाए तो यूनिफार्म सिविल कोड का अर्थ विभिन्न धर्म संप्रदाय के लिए अलग-अलग न होना ही मूल भावना है। इसका मुख्य अभिप्राय यह है की देश के सभी नागरिकों पर यह कानून लागू होगा चाहे वह किसी भी जाति या समुदाय से संबंधित क्यों ना हो। UCC निजी कानून से ऊपर का एक उच्च कानून है जो सभी जाति धर्म में नागरिकों के लिए समान रूप से लागू होता है।
Uniform Civil Code के अंतर्गत मुख्य रूप से नीचे दिए गए यह तीन विषय लागू होते है, जो की इस प्रकार से निम्नवत है।
- व्यक्तिगत स्तर (personal level)
- विवाह, तलाक और गोद लेना (Marriage, Divorce and Adoption)
- संपत्ति के अधिग्रहण और संचालन का अधिकार (Right to acquire and operate property)
भारत में सामान नागरिक संहिता (यूनिफार्म सिविल कोड)
आर्टिकल | भारत में सामान नागरिक संहिता (यूनिफार्म सिविल कोड) |
वर्ष | 2023 |
UCC | Uniform Civil Code सामान नागरिक संहिता |
उद्देश्य | सभी धर्म संप्रदाय के लोगो के लिए एक सामान कानून |
लाभ | व्यक्तिगत स्तर ,विवाह, तलाक और गोद लेना, संपत्ति के अधिग्रहण और संचालन का अधिकार |
लाभार्थी | सभी जाति धर्मों के लोग |
यूनिफार्म सिविल कोड को लेकर चर्चा
भारत में सामान नागरिक संहिता– भारतीय संविधान का गठन करते समय समान नागरिक संहिता (UCC) के संबंध में काफी चर्चा की गयी थी। लेकिन उस समय की परिस्थितियों में इसे लागू करना उचित नहीं समझा गया ,जिस कारण से इसे अनुच्छेद 44 में नीति निर्देशक तत्वों की श्रेणी में स्थान दिया गया। नीति निर्देशक तत्व (directive principles ) संविधान का वह अंग है जो जिसके आधार पर सरकार से कार्य करने की उम्मीद की जा सकती है।
प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने वर्ष 1954-55 में भारी विरोध के बाद भी तत्कालीन के रूप में हिन्दू कोड बिल लेकर आये थे। इस कोड के आधार पर हिन्दू विवाह कानून और उत्तराधिकार कानून बने यानी की हिन्दू, जैन, बौद्ध, और सिख समुदाय के लिए विवाह, तलाक उत्तराधिकार जैसे नियम तो कॉन्सीटूशन में निर्धारित कर दिए गए।
लेकिन इसी के चलते मुस्लिम, पारसी, ईसाई समुदाय को अपने धार्मिक कानून यानी की पर्सनल लॉ के अंतर्गत रहने की एक छूट प्रदान की गयी। यह छूट उन सभी समुदाय के लोगों को भी मिली है जो नागा या आदिवासी लोग है। यह सभी लोग अपनी परंपरा के अनुसार ही कानून का पालन करते है। लेकिन यदि के बार पूर्ण तरीके से समान नागरिक सहिंता कानून लागू हो जाता है तो यह सभी लोगो के लिए एक समान रूप में लागू होगा।
भारत का बँटवारा 1947 में हिन्दू व मुस्लिम के नाम पर हो गया। आज़ादी के 75 साल बाद देश में संविधान का ऑरटीकल 44 यानि समान नागरिक संहिता लागू होना चाहिए । यही बाबा साहब अंबेडकर जी को सच्ची श्रद्धांजलि होगी pic.twitter.com/AXLvQIEOrH
— Dr Nishikant Dubey (@nishikant_dubey) December 1, 2021
भारत में सामान नागरिक संहिता की आवश्यकता
जैसे की आप सभी लोग जानते है की भारत में विभिन्न समुदाय के लोग निवासरत है। और इन सभी समुदायों के लिए अलग-अलग कानून बनाए गए है, लेकिन अलग-अलग कानून होने से न्यायपालिका पर काफी अधिक लोड पड़ता है।
इस समस्या का समाधान करने के लिए भारत देश में UCC कानून का होना जरुरी है। इस कानून के आधार पर अदालतों में कई वर्षो से लंबित पड़े मामलों के फैसले जल्द होंगे। बंटवारे से लेकर, शादी, बच्चा गोद लेना, तलाक आदि के लिए अब कानून सभी लोगो के लिए समान होगा। मौजूदा समय में लोग अभी अपने पर्सनल लॉ के जरिये अपने मामलों का निपटारा करते है।
UCC कानून लागू होने से देश में नागरिकों में एकता होगी साथ ही देश एकता का भी एक अलग ही स्वरूप देखने को मिलेगा। कानून के लागू होने से किसी तरह की जाति धर्म के नाम से हो रहे वैर नहीं बढ़ेंगे। देश तेजी से विकास की ओर आगे बढ़ेगा।
Uniform Civil Code के फायदे
यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) को लेकर देश भर में विवाद हो रहा है है, लेकिन भारतीय संविधान में सभी धर्मों के लिए एक समान नागरिक संहिता बनाने की बात की गयी है।
- समानता: यूनिफॉर्म सिविल कोड के माध्यम से, सभी नागरिकों को धर्म, जाति और लिंग के आधार पर समान अधिकार और कर्तव्य मिलते हैं। यह समानता और न्याय का माध्यम है, जो समाज में एकता और समग्र विकास को प्रोत्साहित करता है।
- महिला सशक्तिकरण: भारत में समान नागरिक संहिता लागू होने से महिलाओं को विशेष रूप से फायदे होंगे। क्योंकी कुछ समुदाय के पर्सनल लॉ में महिलाओं के लिए सिमित अधिकार ही निर्धारित किये गए है। लेकिन यदि भारत के सभी राज्यों में यह कानून पूर्ण तरीके से लागू होता है तो महिलाओं को इससे अधिक लाभ प्राप्त होंगे। यूनिफार्म सिविल कोड के जरिये महिलाओं को अपनी पिता की सम्पत्ति पर अधिकार एवं गोद लेने जैसे मामलों में एक समान अधिकार दिया जायेगा। इससे महिलाओं का समाज में अधिक सम्मान और स्थान मिलता है और उनकी स्वतंत्रता और स्वायत्तता को बढ़ावा मिलता है।
- सामाजिक सुधार: UCC के माध्यम से, कई सामाजिक सुधारों को लागू किया जा सकता है जो समाज को सुधारने और प्रगति करने की दिशा में मदद कर सकते हैं। इसमें शादी की आयु, तलाक की प्रक्रिया, संपत्ति वितरण, अविवाहित संपत्ति का वारिस, उच्च शिक्षा और करियर के मामले आदि शामिल हो सकते हैं।
यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) के क्या नुकसान हैं
यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) के फायदों के साथ साथ कुछ एक्सपर्ट और धार्मिक नेता इसको लागू करने पर होने वाले नुकसानों की बात भी कर रहे हैं।
- धार्मिक स्वतंत्रता की चोट: यूनिफॉर्म सिविल कोड यूसीसी को लागू करने से कुछ धार्मिक समुदायों को अपनी धार्मिक स्वतंत्रता पर संकट महसूस हो सकता है। वे यह मानते हैं कि इससे उनकी धार्मिक मान्यताओं को खतरा हो सकता है और धार्मिक अधिकारों पर हस्तक्षेप हो सकता है।
- सांप्रदायिक तनाव: UCC के लागू होने के बाद भी सांप्रदायिक तनाव और विवादों की संभावना बनी रह सकती है। कुछ लोगों को ऐसा लग सकता है कि यूनिफॉर्म सिविल कोड एक सांप्रदायिक अभियान का हिस्सा है और इससे अलग-अलग सम्प्रदायों के बीच तनाव बढ़ सकता है।
- संवैधानिक उचितता: यूसीसी को संविधानिक उचितता प्राप्त करना मुश्किल हो सकता है। इसके लागू होने के लिए संविधान में संशोधन की आवश्यकता होगी, जो आपातकालीन मामलों और विवादों का कारण बन सकता है। इसके अलावा, संविधानिक संशोधन की प्रक्रिया में लंबी और समय-सीमित प्रक्रिया हो सकती है।
- समान स्वीकृति की कमी: यूसीसी के लागू होने के बाद भी, सामाजिक और सांप्रदायिक मान्यताओं की वजह से सभी नागरिकों की समान स्वीकृति नहीं हो सकती है। कुछ लोग इसे अपनी संप्रदायिक पहचान के प्रतीक के रूप में देख सकते हैं और इससे समाज में विभाजन की संभावना बनी रह सकती है।
चूँकि यूनिफॉर्म सिविल कोड का असर पुरे देश तथा सभी सम्प्रदायों पर होगा इस लिए इस विषय पर काफी विस्तृत चर्चा और अनुसंधान की आवश्यकता है।