भारतीय रेलवे कर्मचारियों ने हाल ही में अपने वेतन संरचना में संशोधन की मांग की है। इसके पीछे का कारण है बढ़ती महंगाई और वेतन में उसके अनुरूप वृद्धि न होना। इस मुद्दे का समाधान न केवल रेलवे कर्मचारियों के लिए, बल्कि देश के आर्थिक संरचना के लिए भी महत्वपूर्ण है।
क्या है कर्मचारियों की मांग?
नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन रेलवेमेन (NFIR) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर 7वें केंद्रीय वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुरूप वेतन संरचना में संशोधन की मांग की है। उनका कहना है कि 2016 से लागू वेतन संरचना में अब तक कोई बदलाव नहीं हुआ है, जबकि महंगाई में भारी वृद्धि हुई है।
दस साल का इंतजार: क्यों नहीं है जरूरी?
फेडरेशन का कहना है कि वेतन संरचना की समीक्षा के लिए 10 साल का इंतजार आवश्यक नहीं है। वे चाहते हैं कि मैट्रिक्स की समीक्षा समय-समय पर की जाए, ताकि महंगाई के अनुसार वेतन में उचित संशोधन हो सके।
बढ़ती महंगाई और वेतन में संशोधन की आवश्यकता
फेडरेशन ने बताया कि 2016 के बाद से खाने-पीने की वस्तुओं सहित कई जरूरी चीजों की कीमतें बढ़ी हैं। इसलिए, वेतन में बढ़ोतरी और संशोधित वेतन संरचना की जरूरत है।
न्यूनतम वेतन कितना होना चाहिए?
डॉ. अकरोयड फॉर्मूले के आधार पर, NFIR ने सुझाव दिया है कि केंद्र सरकार के कर्मचारियों का न्यूनतम वेतन 32,500 रुपये प्रति माह होना चाहिए। वर्तमान में यह 18,000 रुपये प्रति माह है, जो कि काफी कम है।
आगे की राह क्या है?
NFIR ने प्रधानमंत्री से वेतन संरचना में संशोधन के लिए हस्तक्षेप की अपील की है। यह मुद्दा न केवल रेलवे कर्मचारियों के जीवन स्तर में सुधार लाएगा, बल्कि यह देश के आर्थिक विकास में भी योगदान देगा। अब देखना है कि सरकार इस मांग पर क्या कदम उठाती है।
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