Employment Generation Program– केंद्र सरकार के अंतर्गत प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (PMEGP) को पांच वर्ष की अवधि के लिए आगे बढ़ा दिया गया है। यानी की सरकार के द्वारा अब वर्ष 2025-26 तक के लिए इसे आगे बढ़ाया गया है। इस कार्यक्रम को आगे बढ़ाने के लिए सरकार के द्वारा कुल 13,554.42 करोड़ रुपये की राशि खर्च की जाएगी। इस संबंध में सरकार ने 31 मई 2022 को यह जानकारी दी है। Micro, Small and Medium Enterprises (सूक्ष्म, लघु एव मझोला उपक्रम) (MSME) मंत्रालय ने कहा है की इस योजना से 5 वित्त वर्षों में 40 लाख लोगो के लिए सतत रोजगार के अवसरों का सृजन होगा।
रोजगार जनरेशन प्रोग्राम (PMEGP) को 15वें वित्त आयोग की अवधि यानी की 5 साल के लिए आगे बढ़ा दी गयी है। केंद्र सरकार के द्वारा वर्ष 2021-22 से वर्ष 2025-26 तक के लिए आगे बढ़ाया गया है। इस योजना का मुख्य लक्ष्य यह है की यह देश भर के युवाओं को गैर कृषि क्षेत्रों में सूक्ष्म उपक्रमों की स्थापना के जरिये रोजगार के अवसर को उपलब्ध करवाएं।
Employment Generation Program में किये गए हैं कुछ संशोधन
केंद्र सरकार के अंतर्गत प्रधानमंत्री रोजगार सृजन योजना की समय सीमा बढ़ाने के साथ-साथ लाभार्थी नागरिकों के लिए इसमें कई तरह के संसोधन भी किये गए है। इसके तहत विनिर्माण इकाइयों के लिए अधिकतम परियोजना लागत को मौजूदा 25 लाख रूपये से बढाकर 50 लाख रूपये किया गया है। इसी के साथ सेवा इकाइयों के लिए इसे 10 लाख रूपये से बढाकर 20 लाख रूपये किया गया है।
रोजगार जनरेशन प्रोग्राम (PMEGP) को 5 साल के लिए बढ़ाया गया
पीएमईजीपी हेतु 5 वर्ष की अवधि आगे बढ़ाएं जाने के संबंध में अब युवाओं को रोजगार दिलाने के लिए सरकार के द्वाराऔर अधिक बेहतर प्रयास किये जायेंगे। इस योजना के अंतर्गत उद्यम स्थापित करने के लिए केंद्र सरकार के द्वारा लाभार्थी नागरिकों को सब्सिडी के तौर पर ऋण उपलब्ध करवाया जाता है।
यह योजना अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, ओबीसी, महिला, ट्रांसजेंडर, दिव्यांग जैसे विशेष श्रेणी के आवेदकों को लिए गए कर्ज पर उच्च दर से सब्सिडी लेने का लाभ प्रदान करती है। केंद्र सरकार की यह स्कीम शहरी क्षेत्रों में प्रोजेक्ट कोस्ट की 25 प्रतिशत एवं ग्रामीण क्षेत्रों में लागत की 35 प्रतिशत सब्सिडी प्रदान करती है। इसी के साथ सामान्य श्रेणी के आवेदकों के लिए यह सब्सिडी शहरी क्षेत्रों में प्रोजेक्ट कॉस्ट का 15 प्रतिशत एवं ग्रामीण क्षेत्रों में 25 फीसदी है।
ग्रामोद्योग और ग्रामीण क्षेत्र की परिभाषा को बदला
प्रधानमंत्री रोजगार सृजन योजना (PMEGP) के अंतर्गत ग्रामोद्योग और ग्रामीण क्षेत्र की परिभाषा को भी एक नया स्वरूप दिया गया है। इस योजना के अंतर्गत पूर्ण रूप से ग्रामीण क्षेत्रों की रुपरेखा को बदला गया है। पंचायती राज संस्थानों के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों को ग्रामीण क्षेत्र माना जायेगा। नगर निगमों के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों को शहरी क्षेत्र माना जाएगा।सभी क्रियान्वयन एजेंसियों को आवेदन लेने और उनके प्रसंस्करण की अनुमति होगी। चाहे आवेदन ग्रामीण क्षेत्र का हो या फिर शहरी क्षेत्र का। इस योजना के अंतर्गत आकांक्षी जिलों और ट्रांसजेंडर आवेदकों को विशेष श्रेणी में रखा जायेगा और वे अधिक सब्सिडी पाने के पात्र होंगे।
पीएमईजीपी के तहत अब 64 लाख रोजगार के अवसर हुए पैदा
वर्ष 2008 -9 में इस योजना की स्थापना की गयी। इसके बाद से लगभग 7 लाख 80 हजार सूक्ष्म उद्यमों को पीएमईजीपी के तहत 19 हजार 995 करोड़ रूपये की सब्सिडी दी गयी। इससे 64 लाख लोगो के लिए अनुमानित स्थायी रोजगार पैदा हुआ है। सहायता प्राप्त इकाइयों में से लगभग 80 प्रतिशत ग्रामीण इलाकों में है और लगभग 50 प्रतिशत अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं महिला श्रेणी के स्वामित्व में है। Employment Generation Program के तहत सरकार रोजगार शुरू करने के लिए लाभार्थी नागरिकों को 10 लाख रूपये से लेकर 25 लाख रूपये तक का ऋण उपलब्ध करवाती है। इसी के साथ ट्रांसजेंडर आवेदकों को योजना के अंतर्गत लोन में अधिक सब्सिडी प्रदान की जाती है।
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